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Windup: नई शुरुआत का दरवाजा

Windup: नई शुरुआत का दरवाजा

"समापन सिर्फ एक पड़ाव है, एक समापन नई शुरुआत के लिए"

जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि हमें एक रास्ता छोड़कर दूसरे रास्ते पर चलना पड़ता है। ठीक वैसे ही बिजनेस वर्ल्ड में भी कई बार कंपनियों को 'Windup' यानी समापन का फैसला लेना पड़ता है। आज हम समझेंगे कि 'Windup' का मतलब क्या है, इसके कारण क्या हैं, और यह प्रक्रिया कैसे होती है।

 

क्या है 'Windup'?

'Windup' का सीधा मतलब है दुकान समेटो, ताला लगाओ और घर को चलो। जब कोई कंपनी अपने बिजनेस को बंद करने का फैसला करती है, तो उसे 'Windup' कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। आइए, कुछ प्रमुख कारणों पर नजर डालते हैं:

  1. खर्चा-पानी का हिसाब ना बैठना: अगर कंपनी अपने कर्जे का जुगाड़ नहीं कर पा रही है और बाजार में उसकी नैया डूब रही है, तो 'Windup' का रास्ता ही सही लगता है।

  2. बॉस लोगों की भिड़ंत: कई बार कंपनी के मालिक या पार्टनर्स आपस में भिड़ जाते हैं। जिससे कामकाज में रुकावट आती है और कंपनी का चाल-चलन बिगड़ जाता है।

  3. टेक्नोलॉजी में पिछड़ना: अगर कंपनी पुराने जमाने की गाड़ी चला रही है तो बाजार में नई-नई टेक्नोलॉजी आने पर वो गाड़ी आगे नहीं बढ़ पाती।

  4. नए नियम-कानून: कभी-कभी नए नियम-कानूनों के चक्कर में भी कंपनियां उलझ जाती हैं या फिर कंपनी का विलय किसी बड़ी कंपनी में हो जाता है, जिससे उसका अस्तित्व ही खत्म हो जाता है।

 

Voluntary Winding Up: स्वेच्छा से कंपनी बंद करना

स्वेच्छा से किसी कंपनी को बंद करना, एक लंबी और कठिन प्रक्रिया है। सबसे पहले, कंपनी के शेयरहोल्डर्स या जनरल मीटिंग में एक विशेष प्रस्ताव के द्वारा कंपनी बंद करने का फैसला करना होता है। इसके बाद, कंपनी के डायरेक्टर्स को Solvency Declaration देना पड़ता है, मतलब यह बताना होता है कि कंपनी अपने सभी कर्ज चुका सकने में सक्षम है। फिर, कंपनी के Trade Creditor की भी मंजूरी लेनी पड़ती है। उसके बाद, Liquidator नियुक्त किया जाता है जो कंपनी के Assets बेचकर, कर्ज चुकाने का काम करता है और अंत में, कंपनी बंद हो जाती है। इसके बाद कंपनी का नाम भी कुछ समय के लिए किसी और उपयोग करने के लिए मना होता है।

 

Compulsory Winding Up: अनिवार्य समापन

कंपनी का अनिवार्य समापन तब होता है जब वह किसी धोखाधड़ी या अवैध काम में लिप्त होती है। इसके लिए कंपनी से संबंधित कोई भी पक्षकार कोई भी ट्रिब्यूनल या अदालत में याचिका दायर कर सकता है। याचिका मंजूर होने के बाद, Liquidator नियुक्त किया जाता है जो कंपनी की संपत्ति का निष्पादन करता है और उसके खातों की जांच करके रिपोर्ट तैयार करता है। रिपोर्ट को Windup कमेटी को दिया जाता है और उसकी मंजूरी के बाद, अंतिम रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को सौंपी जाती है। ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद, Liquidator को 30 दिनों के अंदर यह आदेश रजिस्ट्रार को भेजना होता है। अगर रजिस्ट्रार संतुष्ट होता है, तो वह कंपनी का नाम रजिस्टर से हटा देता है और इसकी सूचना आधिकारिक गजट में प्रकाशित की जाती है। यह सब कंपनी अधिनियम 2019 के तहत बनाए गए कंपनी (Windup) नियम 2020 के अनुसार होता है।

 

Fast Track Exit Scheme: जल्दी समापन योजना

भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने 26 दिसंबर 2016 को एक अधिसूचना के जरिए Fast Track Exit (FTE) योजना शुरू की, जिसके तहत बिना सक्रिय व्यापार वाली कंपनियों को कंपनी रजिस्ट्रार के रिकॉर्ड से नाम हटाने का मौका मिलता है। इस योजना में अनेक प्रकार की कंपनियों जैसे कि सूचीबद्ध कंपनियां, विनियमों का पालन न करने पर सूची से हटाई गई कंपनियां, सरकारी जांच में फंसी कंपनियां, आदि पर यह योजना लागू नहीं होती है। इसके तहत आवेदन करने के लिए शपथ पत्र, इंडेम्निटी बॉन्ड, लेखा-जोखा विवरण, बोर्ड का प्रस्ताव की प्रति और ₹10000 की फीस देनी होती है। इसमें विवादों और सरकारी दावों का भी खुलासा करना पड़ता है, पर सरकारी विभागों से NOC की जरूरत नहीं होती। अंत में, यदि सब कुछ ठीक रहता है, तो रजिस्ट्रार कंपनी का नाम रजिस्टर से हटा देता है और इसका अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित करता है। निदेशकों पर कंपनी के नाम हटने के बाद भी कानूनी दावों और नुकसानों की जिम्मेदारी बनी रहती है।

 

Strike off by MCA: जब सरकार कहे 'समाप्त'

कंपनी रजिस्ट्रार (ROC) द्वारा खुद से कंपनी का नाम हटाने की प्रक्रिया, जिसे कंपनी एक्ट 2013 के अनुभाग 248(1) के तहत 'Strike off' कहा जाता है, तब होती है जब कंपनी किसी कार्य या व्यापार में दो वित्तीय वर्षों से सक्रिय नहीं होती, या अपने गठन के एक वर्ष के भीतर कारोबार शुरू नहीं करती। इस परिस्थिति में, ROC कंपनी को और उसके निदेशकों को नोटिस भेजता है और 30 दिन के भीतर जरूरी दस्तावेज के साथ जवाब देने को कहता है। इस प्रक्रिया को 'कंपनी रजिस्ट्रार द्वारा नाम हटाने की अनिवार्य प्रक्रिया' भी कहा जाता है।

 

अंत में...

'Windup' का मतलब सिर्फ दुकान बंद करना नहीं है, बल्कि सही से उसके हर पहलू को संभालना भी होता है। इसमें सिर्फ कंपनी का ही नहीं, बल्कि उससे जुड़े हर इंसान का भविष्य और हित जुड़ा होता है। ऐसे में, इस प्रक्रिया को संजीदगी से लेना और सबके हितों का ख्याल रखते हुए आगे बढ़ना बहुत जरूरी होता है। 'Windup' एक नई शुरुआत का मौका भी हो सकता है, एक नए सफर की ओर कदम बढ़ाने का। इसलिए इसे एक पड़ाव मानकर, नए रास्तों की ओर चल पड़ना चाहिए।

03 Jul

Bindu Soni
Bindu Soni

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