जैसे-जैसे आपकी कंपनी बड़ी होती जाती है, वैसे-वैसे आपके दिमाग में नए आइडियाज़ आते जाते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि जो सोच के चले थे, वहाँ से कहीं और निकल गए। तो बस, जब भी आप अपनी कंपनी के उद्देश्यों में तब्दीली करते हैं तो उन्हें ऑफिशियल भी बनाना पड़ता है। इसके लिए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MoA) में बदलाव करने की जरुरत पड़ती है।
सोच में बदलाव का मतलब नए रास्ते
मान लो आपकी कंपनी अब नए क्षेत्रों में पाँव पसार रही है, नए प्रोडक्ट्स या सर्विसेज ला रही है, तो भाई, उद्देश्य तो बदलने पड़ेंगे। इसके अलावा जब कोई दूसरी कंपनी आपकी कंपनी को खरीद लेती है, तो बहुत कुछ बदल जाता है। ब्रांड तो वही रह सकता है, लेकिन दिशा और सोच बदल जाती है। ऐसा होने पर भी उद्देश्य बदल जाते हैं।
जरूरी नहीं, हर पुराना काम सही हो
कई बार कुछ ऐसे काम होते हैं, जिनकी जरूरत नहीं रहती, या वो फायदेमंद नहीं रहते। तो फिर, ऐसे में उन कामों को छोड़ देना बेहतर होता है। सरकारी नीतियां भी बदलती रहती हैं। कभी कोई काम कानूनी होता है, फिर वो गैरकानूनी हो जाता है, या सरकार उस पर प्रतिबंध लगा देती है। तो ऐसे में उन कामों को तो छोड़ना ही पड़ता है। ऐसा होने पर भी उद्देश्य बदलने पड़ते हैं, ताकि कानूनी पचड़े से बचा जा सके।
MOA & AOA: क्या होते हैं ये?
MOA (Memorandum of Association)
MoA में कंपनी किस तरह का बिजनेस करेगी, उसकी सीमाएं, ऑफिस कहाँ है और शेयर्स की बातें होती हैं। ये बताता है कि कंपनी और बाकी दुनिया के बीच क्या रिश्ता है।
AOA (Articles of Association)
AOA में कंपनी के अंदर के नियम होते हैं, जैसे शेयरधारकों का क्या रोल है, निदेशक कैसे चुने जाएंगे, मीटिंग कैसे होगी, पैसा कैसे बांटा जाएगा, और अंदर की चीजों को कैसे संभाला जाएगा। ये दस्तावेज कंपनी के लिए कानूनी आधार का काम करते हैं।
Object Clause in MOA: उद्देश्य की दिशा
MoA में एक खास हिस्सा होता है जिसे 'ऑब्जेक्ट क्लॉज' कहते हैं, जो बताता है कि कंपनी क्या काम करेगी। ये कंपनी के लिए दिशा-निर्देश की तरह होता है, जैसे कंपनी कौन से बिजनेस में होगी, और भविष्य में क्या नया कर सकती है। इससे निवेशकों को भी पता चलता है कि कंपनी किन कामों में लगी है। हां, अगर कभी कंपनी को अपना काम बदलना हो, तो इस क्लॉज को भी बदलना पड़ता है।
उद्देश्य बदलने का प्रोसेस: कैसे करें बदलाव
निदेशकों की मीटिंग
सबसे पहले कंपनी के निदेशकों की मीटिंग बुलानी होती है जिसमें तय करना होता है कि एक खास आम बैठक (EGM) बुलाई जाए जिसमें सभी शेयरधारक आएं।
शेयरधारकों की मंजूरी
इस बैठक में शेयरधारक ये तय करते हैं कि Object Clause में बदलाव करना है या नहीं। अगर 75% शेयरधारक सहमत होते हैं, तो बदलाव का प्रस्ताव पास हो जाता है।
कंपनी रजिस्ट्रार की मंजूरी
इसके बाद कंपनी को यह बदलाव कंपनी रजिस्ट्रार के पास फॉर्म MGT-14 के माध्यम से दर्ज कराना होता है और उनसे मंजूरी लेनी होती है। मंजूरी मिलने के बाद कंपनी के MOA में बदलाव कर दिया जाता है।
बदलाव के लिए जरूरी दस्तावेज़: क्या-क्या चाहिए?
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बोर्ड मीटिंग की मिनट्स - जहां इस बदलाव की बात हुई थी।
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EGM की मिनट्स - जहां शेयरहोल्डर्स ने इस बदलाव को मंजूरी दी थी।
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विशेष संकल्प की कॉपी - शेयरहोल्डर्स द्वारा पास किया गया।
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संशोधित MOA
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MGT-14 फॉर्म - कभी-कभी डायरेक्टर्स या मैनेजिंग डायरेक्टर्स की सहमति पत्र और वक्तव्य और शेयरहोल्डर्स की वर्तमान सूची भी मांगी जा सकती है।
अंत में
जैसे नदी का बहाव हमेशा एक जैसा नहीं रहता, वैसे ही कंपनी के उद्देश्यों में भी समय के साथ बदलाव आना लाजमी है। जरूरतें बदलती हैं, बाजार बदलता है और इसी के साथ आपके उद्देश्यों में भी तब्दीली आती है। यह बदलाव न सिर्फ कंपनी को नई दिशा देता है, बल्कि उसे समय के साथ कदम मिलाकर चलने में मदद करता है।
तो दोस्तों, अगर आप भी अपनी कंपनी के उद्देश्यों में बदलाव करने की सोच रहे हैं, तो देर मत कीजिए। नए रास्ते आपको बुला रहे हैं। आइए, उन पर चलने की तैयारी करें।
Bindu Soni
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