"हर कंपनी की तरक्की की चाबी उसके एम्प्लॉयीज के हाथ में होती है।"
किसी भी बिजनेस को ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना हर उद्यमी का होता है। लेकिन इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए सबसे जरूरी है कि आपकी टीम यानी आपके एम्प्लॉयीज भी आपके साथ उसी जोश और उत्साह से चलें। अगर आपको एक दमदार टीम बनानी है, तो ज़रूरी है कि आप उनके सफर को समझें - उनके संघर्ष से लेकर उनकी कामयाबी तक।
हर किसी को एक अच्छी टीम चाहिए, पर क्या आपने कभी सोचा है कि एक बेहतर टीम बनाने का असली फॉर्मूला क्या है? यहां हम आपको एक ऐसी जर्नी पर ले चल रहे हैं, जिसमें आपके एम्प्लॉयीज के हर कदम पर उनका साथ देने का सही तरीका बताया गया है। तो चलिए जानते हैं कि कैसे अपने एम्प्लॉयीज की जर्नी को सपोर्ट करके बिजनेस को नई ऊंचाईयों पर ले जाया जा सकता है।
1. Define Your Employees Persona:
सबसे पहले तो ये समझना बहुत जरूरी है कि आप अपने लिए किस तरह के एम्प्लॉयीज चाहते हैं। एक बार आंखें बंद करके सोचिए - आपके आइडियल एम्प्लॉयी की पर्सनालिटी कैसी होनी चाहिए? आप किस तरह का experience, skills, और attitude वाले लोगों को अपनी टीम में देखना चाहते हैं?
इसे यूं समझिए जैसे किसी पेंटिंग को बारीकी से पेंट करना। आपको एक मखमली तस्वीर चाहिए - एकदम साफ, समझने लायक और लिखित रूप में। आप कागज़ पर अपने आइडियल एम्प्लॉयी की पर्सनालिटी को उतारें - उसका attitude कैसा हो, वो कितनी बार हंसे, टीम में कैसे घुले-मिले, और उसके goals क्या हों।
इस तरीके से आपको यह पता चलता है कि जो भी शख्स आपकी टीम में आए, वो न सिर्फ आपके बिजनेस के लिए परफेक्ट हो बल्कि आपकी कंपनी की values से भी मेल खाता हो।
2. Define Your Employees Touch Point:
अब जब आपने अपने आइडियल एम्प्लॉयीज की पर्सनालिटी को समझ लिया, अगला स्टेप है टच पॉइंट्स पर ध्यान देना। टच पॉइंट्स यानी वो सारे मौके जब आपका एम्प्लॉयी आपकी कंपनी के साथ इंटरैक्ट करता है - जैसे उसका पहला दिन, ट्रेनिंग सेशन, टीम मीटिंग, प्रोजेक्ट रिव्यू, और यहाँ तक कि लंच ब्रेक में कैफेटेरिया में बिताया हुआ वक्त भी।
हर टच पॉइंट उसके एक्सपीरियंस को प्रभावित करता है। मान लीजिए आपके एम्प्लॉयीज का पहला दिन काफी औसत रहा, तो क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि वो अगले दिन से ही हंड्रेड परसेंट परफॉर्म करेगा? बिलकुल नहीं।
यहां जरूरी है कि हर टच पॉइंट पर एम्प्लॉयी का एक्सपीरियंस पॉजिटिव और मोटिवेटिंग हो। छोटे-छोटे टच पॉइंट्स पर काम करके आप एक ऐसा माहौल बना सकते हैं जिसमें हर एम्प्लॉयी प्रोडक्टिव और खुश महसूस कर सके।
3. Map Your Expectations with Employees Touch Point:
अब आपका अगला कदम है अपनी उम्मीदों को एम्प्लॉयी के टच पॉइंट्स के साथ जोड़ना। कहने का मतलब ये है कि हर टच पॉइंट पर आप क्या हासिल करना चाहते हैं, ये तय करें।
मसलन, ट्रेनिंग सेशन में आपका expectation हो सकता है कि एम्प्लॉयी नए skills सीखें और confidence बढ़े। टीम मीटिंग में उम्मीद होनी चाहिए कि सभी एक-दूसरे के विचारों को सुनें और सहमति से काम करें। प्रोजेक्ट रिव्यू में यह देखना हो कि एम्प्लॉयी ने खुद को कितना improve किया है।
इस तरह से हर टच पॉइंट आपकी कंपनी के लक्ष्यों से जुड़ जाता है और एम्प्लॉयी को ये भी पता चलता है कि उससे क्या एक्सपेक्ट किया जा रहा है।
4. Prepare a “To Do” List:
अब बात करते हैं उन steps की, जो आपके एम्प्लॉयी की इस जर्नी को smooth बनाएंगे। हर टच पॉइंट के लिए एक "To Do" List बनाना बेहद जरूरी है। ये लिस्ट आपके लिए एक चेकलिस्ट की तरह काम करेगी ताकि हर टच पॉइंट पर आपके एम्प्लॉयी का एक्सपीरियंस एकदम यादगार और organized रहे।
मान लीजिए, पहला टच पॉइंट है “पहला दिन”। अब पहले दिन के लिए आपकी लिस्ट में क्या हो सकता है? सबसे पहले स्वागत किट, एक ओरिएंटेशन सेशन, टीम के साथ इंट्रोडक्शन - ये सब छोटे-छोटे gestures एम्प्लॉयी के पहले दिन को खास बना सकते हैं।
किसी भी एम्प्लॉयी के एक्सपीरियंस को ध्यान में रखते हुए, हर टच पॉइंट पर एक व्यवस्थित प्रक्रिया का पालन करें, ताकि उसे महसूस हो कि उसकी वैल्यू है, और वो आपके बिजनेस के लिए मायने रखता है।
5. Ongoing Development and Recognition
इसके बाद आता है Development और Recognition का पहलू। ये बात हर बिजनेस में लागू होती है कि एम्प्लॉयी अगर विकास करते हैं तो बिजनेस भी बढ़ता है। इसके लिए जरूरी है कि समय-समय पर उनके skills और knowledge को अपडेट करने के लिए training sessions और workshops का आयोजन हो।
किसी भी व्यक्ति के काम की पहचान करना और उसे पुरस्कृत करना भी जरूरी है। जब एम्प्लॉयी को ये महसूस होता है कि उसका योगदान मायने रखता है, तो वह और ज्यादा motivated होकर काम करता है। Recognition का मतलब सिर्फ financial incentives नहीं होता, एक छोटा सा thank you note, या लंच मीटिंग में उसकी तारीफ करना भी उसे खुश कर सकता है।
6. Work-Life Balance और Team Culture
आखिर में बात आती है एक बैलेंस्ड work-life और culture की। एक ऐसा माहौल बनाइए जहां लोग खुलकर अपने विचार शेयर कर सकें। एक ऐसा culture बनाएं जहां सम्मान और भरोसे का माहौल हो, ताकि एम्प्लॉयी खुलकर contribute कर सकें।
एम्प्लॉयी को बांधे रखने के लिए जरूरी है कि वो अपनी जिंदगी में संतुलन महसूस करें। Work-life balance का मतलब ये नहीं कि सिर्फ छुट्टियाँ देना, बल्कि ऐसा वातावरण बनाना है जहाँ काम का प्रेशर होने के बावजूद वो खुश और स्वस्थ महसूस करें।
अंत में, एक टीम से बनता है बिजनेस
एक टीम ही किसी बिजनेस की नींव होती है। इस नींव को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि आपके एम्प्लॉयी का हर टच पॉइंट positive हो। तभी वो आपके साथ लंबे समय तक बने रहेंगे और आपकी कंपनी के goals को अपने goals मानेंगे। तो अगली बार जब आप अपने एम्प्लॉयी की जर्नी को मैप करें, इन सभी बातों का ध्यान रखें, और देखिए कैसे आपका बिजनेस एक नई ऊंचाई पर पहुंचता है।
आपके बिजनेस की तरक्की, आपके एम्प्लॉयी के सफर में ही छुपी है।
Bindu Soni
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