भारतीय कंपनी अधिनियम में इन स्टार्टअप्स को कुछ अनिवार्य अनुपालन भी करने पड़ते हैं। अगर वे इस पर ध्यान नहीं देते, तो बाद में उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।**
अब सोचो, आपके सपने की स्टार्टअप कंपनी शुरू हो गई, पर कानूनी फार्मालिटीज तुमने Sideline कर दी। आगे चलकर, ये छोटी-छोटी चूकें तुम्हें बड़ी मुश्किल में डाल सकती हैं। जैसे, अगर तुमने ऑडिटर की नियुक्ति नहीं की, या ADT-1 फॉर्म नहीं जमा किया। तो उसके जुर्माना की राशि समय के साथ बढ़ती जाती है। पहले 30 दिनों में दोगुना, फिर 60 दिनों में चारगुना और इस तरह बढ़ते जा रही है।
क्या तुम जानते हो कि DIR-3 KYC फॉर्म समय पर नहीं जमा करने पर ₹5000 का जुर्माना लग सकता है? और यही स्थिति MGT-7 और AOC-4 फॉर्म के साथ भी है। स्टार्टअप्स के लिए, जो पहली बार उद्यमिता की दुनिया में कदम रख रहे हैं, ये जुर्माने बड़ा बोझ साबित हो सकते हैं। इसलिए, अगर तुम भी स्टार्टअप की दुनिया में कदम रख रहे हो, तो इन अनुपालनों को ध्यान से पढ़ो और जुर्माने से बचने के लिए उन्हें समय-समय पर पूरा करो। समय पर अनुपालन करने से जो संतुष्टि मिलती है, वही असली लाभ है। तो, स्टार्टअप करो, धन्धा करो, लेकिन कानूनी फार्मालिटीज को कभी भी नजरंदाज मत करो।
अब आते हैं Main Points पर:
1. Fail to Appoint an Auditor:
ADT-1 फॉर्म को समय सीमा के बाद लेकिन 30 दिनों के भीतर जमा करने पर, सामान्य फ़ाइलिंग शुल्क का दो गुना देरी का शुल्क लगेगा। अगर फॉर्म 30 दिनों के बाद और 60 दिनों के भीतर जमा किया जाता है, तो देरी का शुल्क सामान्य शुल्क का चार गुना होगा। अगर फॉर्म समय सीमा के 60 दिनों के बाद जमा किया जाता है, तो देरी का शुल्क सामान्य शुल्क का छह गुना होगा।
अब सोचो, ऑडिटर अपॉइंटमेंट जैसे बुनियादी काम को अगर टाइम पर नहीं किया, तो ये छोटा सा मिस्सड स्टेप कितनी बड़ी टेंशन बन सकता है।
2. Fail to Commence Business:
अगर आप 30 दिनों के अंदर फॉर्म जमा करते हैं, तो आपको सामान्य शुल्क का दो गुना चुकाना होता है। 30 दिनों से अधिक लेकिन 60 दिनों से अधिक न होने पर, आपको सामान्य शुल्क का चार गुना देना होता है। 60 दिनों से अधिक लेकिन 90 दिनों से अधिक न होने पर, शुल्क छह गुना होता है। अगर आप 90 दिनों से अधिक लेकिन 180 दिनों से अधिक समय तक जमा नहीं करते हैं, तो आपको सामान्य शुल्क का दस गुना चुकाना होता है। और अगर 180 दिनों से अधिक समय बीत जाता है, तो आपको सामान्य शुल्क का बारह गुना चुकाना पड़ता है।
भाई, बिजनेस शुरू करने में लेट लतीफी नहीं चलेगी, हर चीज़ का टाइम होता है। लेट हुए तो जुर्माना मुंह बाए खड़ा रहेगा।
3. Fail to Update Director KYC:
फॉर्म DIR-3 KYC को अगर संबंधित वित्तीय वर्ष की निर्धारित तिथि (30th September) के अंदर जमा किया जाता है, तो कोई शुल्क नहीं लगता। अगर निर्धारित तिथि के बाद जमा किया जाता है और जिनके DIN को 'DIR-3 KYC जमा नहीं करने के कारण निष्क्रिय' किया गया हो, उन्हें 21 सितंबर से 5 अक्टूबर 2018 तक (दोनों दिन समेत) ₹500 (पांच सौ रुपये) शुल्क चुकाना होगा। 6 अक्टूबर के बाद, ₹5000 (पांच हजार रुपये) का शुल्क चुकाना होगा।
अपडेटेड जानकारी रखना जरूरी है, वरना ये छोटी सी चूक बड़ी रकम ले उड़ेगी।
4. Fail to File Annual Compliances:
कंपनियों को हर साल अपनी वार्षिक रिपोर्ट और लेखा-परीक्षा की रिपोर्ट जमा करनी होती है। अगर कंपनी AOC-4 और MGT-7 फ़ाइल नहीं करती है तो फॉर्म MGT-7 ना जमा करने का दंड है ₹100 (एक सौ रुपये) प्रतिदिन देरी के लिए और फॉर्म AOC-4 ना जमा करने का भी जुर्माना है ₹100 (एक सौ रुपये) प्रतिदिन देरी के लिए। इसलिए, कंपनी को सुनिश्चित करना चाहिए कि इस फॉर्म में वित्तीय विवरण प्रतिवर्ष समय से पहले जमा किया जाए।
हर साल की रिपोर्ट्स टाइम पर फाइल करो। नहीं तो रोज का जुर्माना देना पड़ेगा और ये आपकी पॉकेट में बड़ी छेद कर देगा।
आखिर में
जैसा कि कहा जाता है, "पैसा बोलता है," तो यहां पैसा जुर्माने के रूप में खूब बोलेगा अगर आपने अनुपालनों को नजरअंदाज किया। स्टार्टअप की दुनिया में कदम रखते ही आपको अपनी कानूनी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखना होगा। समय पर अनुपालन करना न सिर्फ कानूनी मजबूरी है बल्कि यह आपकी कंपनी की साख और भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
तो दोस्तों, स्टार्टअप करो, लेकिन कानूनी फार्मालिटीज को लेकर हमेशा सतर्क रहो।
अंत में, एक छोटी सी याद दिलाने वाली लाइन:
"Compliance नहीं किये तो पेनल्टी कहेगी 'स्वागत नहीं करोगे हमारा'?"
ध्यान रहे, ये "स्वागत" बहुत महंगा पड़ सकता है! 😊
Bindu Soni
To start a new business is easy, but to make it successful is difficult . So For success, choose the best." Be compliant and proactive from the beginning and choose NEUSOURCE as your guidance partner.