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ब्रांड का नाम कैसे तय करें? जानिए नामकरण की कला और विज्ञान

ब्रांड का नाम कैसे तय करें? जानिए नामकरण की कला और विज्ञान

"नामकरण की कला उसे रूप देती है, जबकि विज्ञान उसे अर्थ देता है।"

भाई साहब, नाम में क्या रखा है? अरे, बहुत कुछ रखा है। ये नाम ही तो है जो किसी भी चीज की पहचान बनता है। चाहे वो इंसान हो, ब्रांड हो, या फिर कोई संस्था। नाम वो पहली चीज है जो किसी के मुंह पर आती है और दिल में बस जाती है। अब जैसे 'अमूल' को ही ले लो। सुनते ही दिमाग में ताजा दूध की खुशबू आ जाती है ना? ये है नामकरण की कला। लेकिन इस कला में विज्ञान भी उतना ही जरूरी है।

 

नामकरण में विज्ञान का तड़का

जब बात आती है नाम रखने की, तो भावना के साथ-साथ तर्क का होना भी जरूरी है। नाम ऐसा होना चाहिए जो कानों में घंटी बजा दे, याद रह जाए। जैसे 'आईफोन' सुनते ही समझ आ जाता है कि बात कुछ टेक्नोलॉजी की होने वाली है। इसमें स्पष्टता है, खासियत है, और अनूठापन है।

  1. प्रासंगिकता: नाम का अर्थ आपके ब्रांड के उद्देश्य और उत्पादों से मेल खाना चाहिए। इससे ग्राहकों को तुरंत समझ आ जाता है कि आपका ब्रांड क्या पेश कर रहा है।

  2. यादगार होना: नाम ऐसा होना चाहिए कि लोग उसे एक बार सुनें और फिर भूल न पाएं। जैसे 'नाइक' सुनते ही खेल-कूद की बात दिमाग में आ जाती है।

  3. विशिष्टता: नाम ऐसा हो जो प्रतिस्पर्धा से अलग दिखे और खुद की एक पहचान बनाए। 'गूगल' जैसा नाम कोई और नहीं रख सकता क्योंकि वो खुद में अनूठा है।

 

कला की महक

अब कला की बात करें तो नाम में वो अहसास होना चाहिए जो दिल को छू जाए। 'अमूल' का नाम सुनते ही 'अमूल्य' यानी कीमती, ये अहसास जगाता है। यहाँ तक कि 'ताज' होटल्स सुनते ही शाहजहाँ के ताजमहल की याद आ जाती है और एक शाही अहसास होता है।

  1. भावनात्मक जुड़ाव: नाम ऐसा होना चाहिए जो आपके ग्राहकों के दिल को छू जाए। जैसे 'कैडबरी' सुनते ही चॉकलेट का मीठा स्वाद मुँह में आ जाता है।

  2. सांस्कृतिक संदर्भ: हर नाम के पीछे एक कहानी होती है और यह कहानी उसके सांस्कृतिक संदर्भ से जुड़ी होती है। नाम में जरा सी भी चूक हुई, तो पूरी ब्रांड की छवि धुंधली पड़ सकती है।

  3. कहानी सुनाना: एक अच्छा नाम कहानी बयां करता है। 'फॉरेवर 21' नाम से ही अंदाजा लग जाता है कि यह ब्रांड युवाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

 

सांस्कृतिक तड़का

हर नाम के पीछे एक कहानी होती है और यह कहानी उसके सांस्कृतिक संदर्भ से जुड़ी होती है। नाम में जरा सा भी चूक हुआ ना, तो पूरी ब्रांड की छवि धुंधली पड़ सकती है। इसलिए, नाम चुनते समय बहुत सोच-समझ कर चलना पड़ता है।

  1. सांस्कृतिक संवेदनशीलता: नाम ऐसा होना चाहिए जो सभी सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों का सम्मान करे और किसी को भी अपमानित न करे।

  2. स्थानीयता: यदि आपका ब्रांड विशेष रूप से किसी क्षेत्र या देश के लिए है, तो नाम में उस क्षेत्र की झलक होनी चाहिए। जैसे 'महिंद्रा' नाम से भारतीयता की महक आती है।

  3. समय के साथ बदलते नाम: कुछ नाम समय के साथ बदल सकते हैं या अपने मतलब को खो सकते हैं। ऐसे में ब्रांड को अपडेट रखना जरूरी हो जाता है।

 

भावनाओं का पुल

अरे भाई! नाम तो भावनाओं का पुल बनाता है। एक अच्छा नाम ग्राहकों के दिलों में घर बना लेता है। इससे ब्रांड के प्रति वफादारी और विश्वास दोनों बढ़ते हैं। तो, नाम ऐसा हो कि दिल से दिल तक पहुँचे।

  1. इंसानी जुड़ाव: नाम ऐसा हो जो इंसानियत की भावना को दर्शाए। जैसे 'डव' नाम सुनते ही एक नाजुकता और सफाई का अहसास होता है।

  2. सकारात्मकता: नाम में सकारात्मकता होनी चाहिए, जो अच्छे अहसास को जन्म दे। जैसे 'सन्सिल्क' नाम सुनते ही बालों की चमक का ख्याल आता है।

  3. वफादारी: एक अच्छा नाम आपके ग्राहकों के साथ वफादारी बनाता है। लोग उस नाम पर विश्वास करते हैं और उसे अपना लेते हैं।

 

उच्चारण की सिंपलिटी

जरा सोचो, अगर नाम ही ऐसा हो जो जुबान पर ना चढ़ पाए तो? नाम ऐसा होना चाहिए कि बस पुकारो और याद रह जाए। उच्चारण में जितनी सादगी, उतनी ही अधिक यादगारी।

  1. आसान उच्चारण: नाम ऐसा होना चाहिए जो आसानी से बोला जा सके। जैसे 'पेप्सी' या 'कोक'।

  2. लघु और सटीक: छोटे नाम जल्दी याद रहते हैं और आसानी से पुकारे जा सकते हैं। जैसे 'ज़ारा' या 'एप्पल'।

  3. स्पष्टता: नाम स्पष्ट होना चाहिए ताकि कोई भी उसे आसानी से समझ सके और बोल सके।

 

प्रतिस्पर्धा से सीखो

और सबसे आखिर में, जब आप नाम चुन रहे हों तो एक नजर इधर-उधर भी मार लो। क्या पता आपके दिमाग में जो नाम आया है, वो पहले से किसी के पास हो। तो बाजार की प्रतिस्पर्धा को समझो, और एक ऐसा नाम चुनो जो वाकई में अनोखा हो।

  1. मौजूदा नामों का विश्लेषण: बाजार में पहले से मौजूद नामों का विश्लेषण करें और समझें कि वे कैसे काम कर रहे हैं।

  2. ट्रेडमार्क जाँच: जो नाम आप चुन रहे हैं, उसकी ट्रेडमार्क जाँच कर लें ताकि कोई कानूनी परेशानी न हो।

  3. यादगार और अनोखा: नाम ऐसा हो जो वास्तव में बाजार में अपनी पहचान बना सके और प्रतिस्पर्धा से अलग दिखे।

बस फिर क्या, नामकरण की इस खूबसूरत यात्रा में विज्ञान और कला के इस मेल को अपनाओ और देखो कैसे आपका ब्रांड लोगों के दिलों में घर कर जाता है। एक सही नाम ना सिर्फ आपके ब्रांड की पहचान बनाता है बल्कि उसे यादगार और स्थायी भी बनाता है।

 

भविष्य की दृष्टि

नाम चुनते समय सिर्फ वर्तमान को ही नहीं, भविष्य को भी ध्यान में रखना चाहिए। एक अच्छा नाम समय के साथ पुराना नहीं पड़ता, बल्कि हर दौर में प्रासंगिक और प्रभावशाली बना रहता है।

  1. दीर्घकालिकता: नाम ऐसा होना चाहिए जो आने वाले वर्षों में भी प्रासंगिक रहे। जैसे 'माइक्रोसॉफ्ट' ने अपने नाम के साथ एक लंबी यात्रा तय की है और अभी भी आधुनिक और प्रासंगिक है।

  2. विकास की संभावनाएँ: आपके ब्रांड के विकास के साथ नाम भी बढ़ना चाहिए। अगर आप भविष्य में अपने उत्पादों या सेवाओं को विस्तार देना चाहते हैं, तो नाम इतना लचीला होना चाहिए कि वो उस बदलाव को समाहित कर सके।

  3. प्रवृत्तियों से बचें: नाम चुनते समय वर्तमान प्रवृत्तियों (ट्रेंड्स) का ध्यान रखें लेकिन उन पर पूरी तरह निर्भर न हों। ट्रेंड्स बदलते रहते हैं, लेकिन एक मजबूत नाम स्थायी होता है।

 

विविधता और समावेश

आज के समय में विविधता और समावेश को महत्व देना जरूरी है। नाम ऐसा होना चाहिए जो हर किसी को शामिल महसूस कराए और किसी भी प्रकार के विभाजन या भेदभाव का कारण न बने।

  1. संवेदनशीलता: नाम किसी भी समुदाय, संस्कृति या व्यक्ति के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। जैसे 'फेयर एंड लवली' ने अपने नाम को 'ग्लो एंड लवली' में बदलकर सांस्कृतिक संवेदनशीलता का परिचय दिया।

  2. सकारात्मक संदेश: नाम में सकारात्मकता होनी चाहिए, जो समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का काम करे।

  3. ग्लोबल अपील: यदि आपका ब्रांड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने की योजना बना रहा है, तो नाम ऐसा होना चाहिए जो विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों में आसानी से स्वीकार्य हो।

 

उपभोक्ता की आवाज़

उपभोक्ता की पसंद और उनकी राय का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। एक अच्छा नाम तभी सफल होता है जब वह अपने लक्षित उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो।

  1. उपभोक्ता सर्वेक्षण: नए नाम के लिए उपभोक्ताओं की राय लें। उनसे पूछें कि वे नाम को कैसे देखते हैं और क्या वे इसे पसंद करते हैं।

  2. फीडबैक: नाम चुनने के बाद भी उपभोक्ताओं से फीडबैक लेते रहें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नाम उनके साथ जुड़ रहा है।

  3. समुदाय निर्माण: नाम ऐसा होना चाहिए जो उपभोक्ताओं के बीच एक समुदाय का निर्माण कर सके। जैसे 'स्टारबक्स' ने अपने उपभोक्ताओं के बीच एक विशेष समुदाय और अनुभव का निर्माण किया है।

 

कानूनी पहलू

नाम चुनते समय कानूनी पहलुओं का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है। ऐसा न हो कि आपका चुना हुआ नाम पहले से ही किसी और का ट्रेडमार्क हो या उससे जुड़ी कानूनी समस्याएँ हों।

  1. ट्रेडमार्क जाँच: नए नाम के लिए ट्रेडमार्क और कॉपीराइट की जाँच करें ताकि भविष्य में कानूनी दिक्कतों से बचा जा सके।

  2. डोमेन नाम: सुनिश्चित करें कि आपके चुने हुए नाम का डोमेन नाम भी उपलब्ध हो ताकि ऑनलाइन उपस्थिति में कोई बाधा न आए।

  3. कानूनी सलाह: नाम चुनने के बाद किसी कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लें ताकि हर पहलू से निश्चिंत हो सकें।

 

समापन

तो भाई साहब, नाम में बहुत कुछ रखा है। एक सही नाम आपके ब्रांड की पहचान, उसकी आत्मा और उसका भविष्य तय करता है। नामकरण की इस कला और विज्ञान के मेल से आप ऐसा नाम चुन सकते हैं जो न सिर्फ आपके ब्रांड को पहचान दिलाएगा बल्कि उसे ग्राहकों के दिलों में बसा देगा।

नामकरण की इस खूबसूरत यात्रा में आपको तर्क और भावना दोनों का सही संतुलन बनाना होगा। ध्यान रखें कि नाम ऐसा हो जो कानों में सुरीला लगे, दिमाग में बस जाए और दिल को छू जाए। यही वो नाम होगा जो आपके ब्रांड को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

16 May

Bindu Soni
Bindu Soni

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