"पहले शब्दों को समझो, फिर विषय को, जब शब्द स्पष्ट होते हैं, तब ज्यादा समझ आता है"
जब बात होती है "निजी सीमित कंपनी" की, तो कई ऐसे टर्म्स होते हैं जिनका अक्सर यूज होता है और इनके बारे में जानना बहुत जरूरी होता है। ये टर्म्स समझना काफी फायदेमंद होता है, खासकर अगर आप बिजनेस या कंपनी के फील्ड में नए हैं। चलिए, इन्हीं टर्म्स की दुनिया में थोड़ा अंदर झांकते हैं और समझते हैं कि ये कैसे काम करते हैं।
1. Shareholder:
शेयरहोल्डर्स वो लोग होते हैं जिनके पास कंपनी के शेयर होते हैं। सीधे-सादे शब्दों में कहें तो ये लोग कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक होते हैं। शेयरहोल्डर्स का हक कंपनी के प्रॉफिट और लॉस पर होता है। अगर कंपनी मुनाफे में है तो शेयरहोल्डर्स को भी फायदा होता है, और अगर घाटे में है तो नुकसान भी झेलना पड़ता है।
2. Board Of Directors:
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स कंपनी को चलाने वाले लोगों का एक ग्रुप होता है। ये लोग कंपनी के बड़े फैसले लेते हैं और इसकी दिशा तय करते हैं। कंपनी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज को मॉनिटर करना और स्ट्रैटेजिक डिसीजन लेना इनके ही जिम्मे होता है।
3. Registered Office:
कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस वो जगह होती है जहां कंपनी का मुख्य ऑफिस होता है। यहीं से सारे जरूरी कागजात और कामकाज संभाले जाते हैं। इसे कंपनी का कानूनी पता भी कहा जा सकता है।
4. Share Capital:
शेयर कैपिटल वो पैसा होता है जो एक शेयरहोल्डर शेयर के बदले कंपनी में डालता है। ज्यादातर भारतीय कंपनियों के शेयर्स की फेस वैल्यू 10 रुपये होती है। ऐसे में अगर किसी कंपनी की Authorized कैपिटल 1 लाख रुपये है, तो वो कंपनी अपने शेयरधारकों को 10 हजार शेयर्स इश्यू करके पूंजी के रूप में 1 लाख रुपये की शेयर कैपिटल जुटा सकती है।
5. Share Certificate:
शेयर सर्टिफिकेट शेयरहोल्डर्स को दिया जाता है ताकि वे अपने शेयरों का सबूत रख सकें। इसमें शेयरहोल्डर का नाम, शेयर्स की मात्रा और प्रकार शामिल होते हैं।
6. MOA (Memorandum of Association):
MOA का काम होता है कंपनी के उद्देश्य और स्कोप को बताना। सीधे शब्दों में, कंपनी का बेसिक मिशन क्या है और वो कैसे काम करेगी, ये सब MOA में लिखा होता है। इसे बदलने के लिए सरकार की मंजूरी चाहिए होती है।
7. AOA (Articles of Association):
AOA कंपनी के अंदरूनी नियमों और प्रक्रियाओं का विवरण प्रदान करता है। इसमें कंपनी के निदेशकों, शेयरधारकों, और कर्मचारियों के अधिकार और कर्तव्यों की चर्चा होती है। AOA को शेयरहोल्डर्स के बहुमत से बदला जा सकता है।
8. Debentures:
डिबेंचर्स वे ऋण पत्र होते हैं जो कंपनी अपने पैसे जुटाने के लिए जारी करती है। ये कंपनी के लिए एक तरह का लोन होता है, जिसे समय के साथ ब्याज समेत चुकाना होता है।
9. Annual Compliances & Audit:
एनुअल कंप्लायंसेस और ऑडिट में कंपनी को अपनी आमदनी और खर्चों का हिसाब सरकार को देना पड़ता है। हर साल कंपनी एनुअल रिपोर्ट जारी करती है जिसमें उसकी वित्तीय स्थिति और प्रगति का ब्योरा होता है।
10. AGM (Annual General Meeting) & Board Meetings:
AGM और बोर्ड मीटिंग दोनों कंपनी के मैनेजमेंट और संचालन के महत्वपूर्ण आयोजन होते हैं। AGM में कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट, ऑडिट रिपोर्ट, डायरेक्टर्स के चुनाव, और डिविडेंड का बंटवारा किया जाता है। बोर्ड मीटिंग में कंपनी के निदेशकों के बीच आयोजित की जाती है और इसमें कंपनी के दैनिक प्रबंधन से संबंधित निर्णय लिए जाते हैं।
AGM और बोर्ड मीटिंग के बीच का अंतर:
AGM एक सालाना आयोजन होता है, जबकि बोर्ड मीटिंग नियमित अंतराल पर होती है। हर कंपनी को उसके पंजीकरण की तारीख से तीस दिनों के भीतर अपनी पहली बोर्ड मीटिंग करनी होती है, और इसके बाद हर साल कम से कम चार बार बोर्ड मीटिंग करनी जरूरी होती है। दो मीटिंगों के बीच का समय 120 दिन से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
समाप्ति:
कंपनी और बिजनेस की दुनिया में कदम रखते ही, इन टर्म्स का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। ये न सिर्फ आपको कानूनी और वित्तीय बारीकियों की समझ देते हैं, बल्कि आपको बेहतर बिजनेस डिसीजन लेने में भी मदद करते हैं। जब आप इन शब्दों को अच्छे से समझ लेते हैं, तो कंपनी चलाना और उसमें निवेश करना दोनों ही आसान हो जाता है। तो अगली बार जब आप किसी मीटिंग में हों या कंपनी के दस्तावेज पढ़ रहे हों, इन टर्म्स को ध्यान में रखकर समझना और भी सरल हो जाएगा।
तो दोस्तों, ये थे कुछ महत्वपूर्ण टर्म्स जो एक निजी सीमित कंपनी से जुड़े होते हैं। उम्मीद है कि अब जब आप इन शब्दों का सामना करेंगे, तो ये पहले से ज्यादा साफ और समझ में आने वाले लगेंगे। बिजनेस की दुनिया में नई शुरुआत करने वालों के लिए ये जानकारी काफी उपयोगी साबित होगी।
Bindu Soni
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