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बिजनेस टैक्स रिटर्न: हर प्रकार के बिजनेस के लिए आवश्यक आयकर अनुपालन

बिजनेस टैक्स रिटर्न: हर प्रकार के बिजनेस के लिए आवश्यक आयकर अनुपालन

Applicable to Proprietorship, Partnership, LLP, OPC, Private Limited Company, Limited Company, Nidhi Company, Producer Company, Society, Trust and Section-8 Company (We discussed only from a business perspective)

बिज़नेस चाहे कैसा भी हो हर साल एक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना अनिवार्य है। टैक्स रेट और स्लैब हर साल बदलते है, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए आयकर विभाग की वेबसाइट देखना उचित रहता है। FY 2023-24 के लिए साझेदारी फर्मों (LLP सहित) पर आयकर 30% है। अगर कुल आय एक करोड़ रुपए से अधिक हो, तो 12% सरचार्ज लगेगा, साथ ही, सभी आयकर और सरचार्ज पर 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर भी लगेगा। वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) 18.5% दर से तब लगेगा जब सामान्य प्रावधानों के अनुसार गणना की गई कुल आय पर कर की राशि 18.5% से कम हो। घरेलू कंपनियों के केस में टर्नओवर अगर ₹400 करोड़ से कम है तो 25% कर दर लागू होती है। बाकी सभी घरेलू कंपनियों पर 30% दर से कर लगता है। इसके अलावा, आय ₹1 करोड़ से ज्यादा होने पर 7% और ₹10 करोड़ से ज्यादा होने पर 12% सरचार्ज लगता है। साथ ही, सभी पर 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर भी लगता है। न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) 15% की दर से लगता है, लेकिन धारा 115BAA और 115BAB के तहत विशेष कर व्यवस्था चुनने वाली कंपनियां MAT से मुक्त हैं। विशेष दरों के अनुसार, धारा 115BA (उन घरेलू कंपनियों के लिए जो 31 मार्च 2016 से पहले स्थापित हुई हैं और विशेष निर्माण, उत्पादन, अनुसंधान और विकास गतिविधियों में संलग्न हैं) के तहत 25%, 115BAA (सभी प्रकार की घरेलू कंपनियों के लिए) के तहत 22% और 115BAB (उन घरेलू कंपनियों के लिए जो 1 अक्टूबर 2019 के बाद स्थापित हुई हैं और 31 मार्च 2024 से पहले विनिर्माण शुरू करती हैं) के तहत 15% कर लगता है, और इन धाराओं के तहत विकल्प चुनने पर 10% सरचार्ज भी लगता है और कुछ कटौतियों और छूटों का लाभ नहीं मिलता। एक Proprietorship बिजनेस के लिए कर की दरें व्यक्तिगत आय पर निर्भर करती हैं। ₹2,50,000 तक कोई कर नहीं, ₹2,50,000 से ₹5,00,000 तक 5%, ₹5,00,000 से ₹10,00,000 तक 20% और ₹10,00,000 से ऊपर 30% कर लगता है। 50 लाख से ज्यादा आय पर 10% से 37% तक सरचार्ज और सभी पर 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर भी होता है। Proprietorship बिजनेस के लिए नई कर व्यवस्था में, आय ₹2,50,000 तक: कोई कर नहीं हैं। ₹2,50,001 से ₹5,00,000 तक: 5% कर। ₹5,00,001 से ₹7,50,000 तक: 10% कर। ₹7,50,001 से ₹10,00,000 तक: 15% कर। ₹10,00,001 से ₹12,50,000 तक: 20% कर। ₹12,50,001 से ₹15,00,000 तक: 25% कर। ₹15,00,000 से ऊपर: 30% कर।, लेकिन कुछ कटौतियों और छूटों का लाभ नहीं मिलता। नयी व्यवस्था में पुरानी व्यवस्था के मुकाबले कम दरों पर कर लगता है, और करदाता पुरानी या नई व्यवस्था में से किसी एक को चुन सकते हैं।

 

कंपनी ITR

भारत में, कंपनियां अपना आयकर रिटर्न (ITR) ITR-6 के माध्यम से दाखिल करती हैं। ITR-6 विशेष रूप से उन कंपनियों के लिए है जो भारत में पंजीकृत हैं। ध्यान दें, यह फॉर्म उन कंपनियों के लिए नहीं है जो धारा 11 के तहत आय की छूट का दावा करती हैं (जैसे धर्मार्थ ट्रस्ट्स)। ITR-6 को भरना और जमा करना ऑनलाइन होता है, जिसे डिजिटली हस्ताक्षर किया जाता है। इस फॉर्म में, कंपनियों को अपनी कुल आय, कटौतियां, और कर योग्य आय के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होती है। इसमें कंपनी के वित्तीय विवरण, शेयरधारकों की जानकारी, और अन्य संबंधित विवरण शामिल होते हैं।

 

साझेदारी फर्म और LLP ITR

भारत में साझेदारी फर्म और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) को अपना इनकम टैक्स रिटर्न ITR-5 फॉर्म के जरिए भरना होता है। इस फॉर्म में, फर्म को अपनी कुल आय, खर्चे, और अन्य वित्तीय जानकारियां देनी होती हैं। इसमें व्यापार से होने वाली आय, ब्याज, किराया, और अन्य स्रोतों से प्राप्त आय शामिल होती है। फर्म को अपने सभी पार्टनर्स की जानकारी भी देनी होती है, जैसे कि उनके हिस्से की आय और उन्हें दिए गए लाभांश या अन्य भुगतान। ITR-5 को भरने की प्रक्रिया भी ऑनलाइन होती है, जिसे डिजिटली हस्ताक्षर किया जाता है।

 

पार्टनर्स और निदेशक ITR

जब भागीदारों और निदेशकों की बात आती है, तो ITR का चयन उनकी उनकी आय के स्रोतों और वित्तीय गतिविधियों के आधार पर होता है। वे ITR-2 या ITR-3 फॉर्म भर सकते हैं। भागीदारों को अपने हिस्से की आय जो पार्टनरशिप फर्म से आती है, उसको अपने व्यक्तिगत आयकर रिटर्न में दिखाना होता है। इस आय में उनका वेतन, बोनस, या ब्याज जैसे लाभ शामिल होते हैं। वहीं, निदेशक जो किसी कंपनी में होते हैं, उन्हें भी अपनी सभी आय, जैसे कि वेतन, डिविडेंड, और अन्य लाभ, को अपने ITR में शामिल करना होता है। ये दोनों ही श्रेणियाँ अपनी आय पर लागू होने वाली सभी कटौतियों और छूटों का दावा कर सकते हैं।

 

Presumptive Taxation

यह एक ऐसी व्यवस्था है जो छोटे व्यापारियों और पेशेवरों के लिए कर की गणना सरल बनाती है। इसमें, उन्हें अपनी वास्तविक आय या खर्च का विस्तृत लेखा-जोखा नहीं रखना पड़ता। धारा 44AD के तहत, व्यापार की वार्षिक टर्नओवर ₹2 करोड़ से कम होने पर 6% (डिजिटल लेन-देन के मामले में) या 8% (नकद लेन-देन के मामले में) टर्नओवर को उसकी आय माना जाता है। और धारा 44ADA के तहत, पेशेवरों के लिए, अगर Gross Receipt ₹50 लाख तक हैं, तो उनकी आय का 50% हिस्सा आय माना जाता है। अगर आप कम प्रतिशत से प्रॉफिट दिखाना चाहते हैं तो आपको वास्तविक आय या खर्च का विस्तृत लेखा-जोखा रखना होगा और Tax Audit करवाना भी जरुरी होगा।

 

आखिर में

अगर आप बिजनेस करते हैं, तो टैक्स कम्प्लायंस आपके लिए बहुत ज़रूरी है। इससे न सिर्फ आपका बिज़नेस सही तरीके से चलता है, बल्कि आपको कानूनी परेशानियों से भी बचाता है। टैक्स स्लैब और नियम हर साल बदलते हैं, इसलिए अपडेट रहना ज़रूरी है। चाहें आप प्रॉप्राइटर हों, पार्टनरशिप फर्म चलाते हों, LLP हो, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हो या फिर कोई और बिज़नेस स्ट्रक्चर, हर किसी के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करना और सही जानकारी देना ज़रूरी है। अगर कोई भी डाउट हो तो एक्सपर्ट की सलाह लें और सही जानकारी के लिए हमेशा आयकर विभाग की वेबसाइट चेक करते रहें।

याद रखें, टैक्स का सही से पालन करना न सिर्फ एक कानूनी बाध्यता है, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक होने का सबूत भी है। तो दोस्तों, बिना किसी चिंता के टैक्स फाइल करें और बेफिक्र होकर अपने बिजनेस को आगे बढ़ाएं!

29 Jul

Bindu Soni
Bindu Soni

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