"Applicable to LLP, OPC, Private Limited Company, Limited Company, Nidhi Company, Producer Company and Section-8 Company"
उद्यमियों के लिए ज़रूरी ROC Event Compliances
आज के समय में, एक सफल व्यापार शुरू करना और उसे बढ़ाना बहुत ही रोमांचक और चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसके लिए न सिर्फ एक अच्छे बिजनेस आइडिया और कमिटमेंट की जरूरत होती है, बल्कि सही कानूनी प्रक्रियाओं और औपचारिकताओं का पालन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ये समझना कि कैसे एक व्यापार को सरकारी नियमों के अनुरूप खड़ा किया जाए और उसे कैसे मैनेज किया जाए, यह एक एंटरप्रेन्योर के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
कंपनी पंजीकरण के बाद, कंपनी को अपनी प्रारंभिक गतिविधियां शुरू करने से पहले कुछ औपचारिकताओं को पूरा करना होता है। इसमें सबसे पहले आता है बिजनेस शुरू करने का सर्टिफिकेट प्राप्त करना, जिसके लिए फॉर्म 20A जमा करना होता है। इस फॉर्म को एक प्रैक्टिसिंग चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA), कंपनी सचिव (CS), या कॉस्ट अकाउंटेंट द्वारा सत्यापित करवाना आवश्यक होता है।
बिजनेस शुरू करने का सर्टिफिकेट (Form 20A)
किसी भी कंपनी को MCA से 'बिजनेस शुरू करने का सर्टिफिकेट' प्राप्त करने के लिए फॉर्म 20A को फाइल करना पड़ता है। इस फॉर्म को हर कंपनी को अपने निगमन के 180 दिनों के भीतर फाइल करना होता है। इस फॉर्म के साथ शेयरधारकों द्वारा जमा की गई पेड-अप शेयर कैपिटल का प्रमाण और कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस की पिक्चर्स अटैच करना जरूरी होता है। निदेशकों को यह घोषणा करनी होती है कि जिन्होंने कंपनी में पैसे लगाए हैं, उन्होंने पैसा जमा कर दिया है और वो कंपनी के बैंक खाते में जमा करवा दिए हैं।
ऑडिटर का इस्तीफा (ADT-3) और हटाना (ADT-2)
कंपनी के फाइनेंशियल और ऑपरेशनल एस्पेक्ट्स को संभालने के लिए ऑडिटर्स की अपॉइंटमेंट और उनके बदलाव से जुड़े नियम भी महत्वपूर्ण होते हैं। जब किसी कंपनी का ऑडिटर किसी कारणवश अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है और उसे इस्तीफा देना पड़ता है, तो ADT-3 फॉर्म का इस्तेमाल होता है। इस फॉर्म के जरिए ऑडिटर कंपनी और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC) को अपने इस्तीफे की सूचना देता है। इसे इस्तीफा देने के 30 दिन के भीतर फाइल करना होता है।
वहीं दूसरी तरफ, ADT-2 फॉर्म का उपयोग तब होता है जब किसी कंपनी को अपने मौजूदा ऑडिटर को उसके कार्यकाल से पहले हटाना होता है। इसके लिए कंपनी को MCA से मंजूरी लेनी पड़ती है और ADT-2 फॉर्म के जरिए इसकी प्रक्रिया को पूरा किया जाता है।
अधिकृत पूंजी में वृद्धि और शेयर ट्रांसफर
कंपनी की ग्रोथ और एक्सपैंशन के लिए अक्सर अधिकृत पूंजी को बढ़ाने और शेयरों के ट्रांसफर की आवश्यकता होती है। इसके लिए विशेष प्रक्रियाएं और फॉर्म्स का पालन करना होता है। पहले बोर्ड मीटिंग होती है, फिर शेयरधारकों की मीटिंग में इसका फैसला होता है। निदेशकों की बैठक के लिए नोटिस, बोर्ड रिजोल्यूशन, आम सभा की सूचना, EGM का प्रस्ताव, संशोधित MOA और AOA, MGT-14 (अगर लागू हो), Form SH-7, बोर्ड की बैठक और आम सभा की कार्यवृत्ति, ऑडिटर की रिपोर्ट और प्रमाणित बैलेंस शीट कंपनी रजिस्ट्रार के पास जमा किए जाते हैं।
शेयर ट्रांसफर में, शेयरों को एक व्यक्ति या संस्था से दूसरे को बेचा या ट्रांसफर किया जाता है। इसमें स्टैम्प ड्यूटी के साथ Form SH-4 फॉर्म भरा जाता है और कंपनी के बोर्ड से मंजूरी भी लेनी पड़ती है।
निदेशक में परिवर्तन
कंपनी के निदेशक मंडल में परिवर्तन, चाहे वह निदेशक की नियुक्ति हो, इस्तीफा हो या उन्हें हटाना हो, के लिए भी नियमों का सख्ती से पालन करना पड़ता है। निदेशक बनने के लिए, पहले शेयरधारकों की मीटिंग में प्रस्ताव पास होता है, और उम्मीदवार को DIR-2 फॉर्म में अपनी सहमति देनी होती है। कंपनी को निदेशक की नियुक्ति के 30 दिनों के अंदर कंपनी रजिस्ट्रार को फॉर्म MGT-14, DIR-2 और DIR-12 जमा करवाना होता है।
कुछ लोग, जैसे दिवालिया या अपराधी, निदेशक नहीं बन सकते। ऐसे व्यक्ति जिनकी उम्र भी 21 वर्ष की ना हुई हो, भी निदेशक नहीं बन सकते। निदेशक के पद से हटने के लिए, उन्हें लिखित में इस्तीफा देना पड़ता है और कंपनी को इसकी सूचना रजिस्ट्रार को Form DIR-12 के माध्यम से 30 दिनों के भीतर देनी होती है। निदेशक को भी अपने इस्तीफे के दिन से 30 दिनों के अंदर रजिस्ट्रार के पास Form DIR-11 दाखिल करना होता है। अगर किसी निदेशक को हटाना हो, तो इसके लिए शेयरधारकों की खास मीटिंग (EGM) बुलाई जाती है और जहां Special Resolution से संकल्प पारित करना आवश्यक होता है।
निष्कर्ष
इन सभी प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन करने से कंपनी का न केवल विधिक अनुपालन सुनिश्चित होता है, बल्कि यह भविष्य में किसी भी प्रकार की विधिक समस्याओं से बचने में भी मदद करता है। एक उद्यमी के रूप में, यह समझना जरूरी है कि व्यापार को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का ज्ञान और उनका उचित अनुपालन उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि व्यावसायिक रणनीति और ग्राहक सेवा।
तो दोस्तों, अगर आप भी अपने बिजनेस को सही तरीके से सेटअप करना चाहते हैं और कानूनी औपचारिकताओं को फॉलो करना चाहते हैं, तो इन महत्वपूर्ण पॉइंट्स का ध्यान जरूर रखें। Happy Businessing!
Bindu Soni
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