ट्रेडमार्क का नाम सुनते ही दिमाग में कोई ब्रांड का चमचमाता नाम आता है। सोचो, तुम्हारी पसंदीदा चाय या फोन का ब्रांड। लेकिन भाईसाहब, ये ट्रेडमार्क की दुनिया जितनी दिखने में चमकदार है, उतनी ही गहरी और पेचीदा भी है। अगर आपका इरादा गड़बड़ है, तो रिजेक्शन तय है।
अवैध इरादे का कड़वा सच
जरा सोचो, तुमने एक ब्रांड देखा, 'अच्छा नाम', जो मार्केट में धूम मचा रहा है। तुम्हारे दिमाग में झट से आइडिया आया कि क्यों न वैसा ही नाम लेकर अपना प्रोडक्ट लॉन्च किया जाए। सोचो, तुम भी वही सफलता पा लोगे। लेकिन ठहरो, ये सोच जितनी आसान लगती है, उतनी ही खतरनाक भी है। अगर तुमने ऐसा किया, तो ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन ऑफिस तुम्हें एक झटका दे देगा और कहेगा, "न भाई, तेरा इरादा सही नहीं है।"
ट्रेडमार्क का मकसद है किसी बिजनेस को उसकी अनोखी पहचान देना। अगर दो अलग-अलग बिजनेस एक ही नाम का इस्तेमाल करेंगे, तो कस्टमर कंफ्यूज हो जाएगा। इसलिए, ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में बैड फेथ यानी बुरा इरादा बहुत गंभीरता से लिया जाता है। जब भी तुम ट्रेडमार्क के लिए अप्लाई करो, तो देख लो कि तुम्हारा नाम पहले से मौजूद तो नहीं और तुम्हारा इरादा साफ-सुथरा है।
अवैध सामग्री और नैतिकता के खिलाफ ट्रेडमार्क
अब मान लो, एक शराब कंपनी ने सोचा कि "VulgarVices" नाम का ट्रेडमार्क रजिस्टर करवा लिया जाए। सुनते ही समझ आ जाएगा कि यह नाम क्यों अस्वीकार कर दिया जाएगा। ऐसी सामग्री जो समाज में नैतिकता के खिलाफ हो, उसे ट्रेडमार्क ऑफिस कभी भी मंजूरी नहीं देगा। ट्रेडमार्क सिर्फ पहचान नहीं, एक जिम्मेदारी भी है।
कानून और सरकारी हितों के खिलाफ ट्रेडमार्क
कभी किसी ने सोचा कि अपने ट्रेडमार्क डिज़ाइन में राष्ट्रीय झंडा शामिल कर लिया जाए? अच्छा आइडिया नहीं है। ऐसे ट्रेडमार्क्स जो मौजूदा कानूनों या सरकारी हितों के खिलाफ होते हैं, उन्हें भी अस्वीकार कर दिया जाता है। भाई, राष्ट्रीय प्रतीकों का दुरुपयोग नहीं कर सकते।
धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन करने वाले ट्रेडमार्क
धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखना भी जरूरी है। कोई भी ट्रेडमार्क जिसमें पवित्र धार्मिक प्रतीक शामिल हो और उसका व्यावसायिक इस्तेमाल हो, वह अस्वीकार कर दिया जाता है। ट्रेडमार्क पंजीकरण ऑफिस धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है और ऐसा कोई भी नाम जो किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करता हो, उसे रिजेक्ट कर देता है।
जन स्वास्थ्य और सुरक्षा
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में एक और बड़ा पहलू है - जन स्वास्थ्य और सुरक्षा। ऐसे ट्रेडमार्क्स जो उपभोक्ताओं के लिए हानिकारक हो सकते हैं, उन्हें भी अस्वीकार कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, कोई कंपनी अगर ऐसे प्रोडक्ट के लिए ट्रेडमार्क चाहती है जो सेहत के लिए नुकसानदायक हो, तो उसे मंजूरी नहीं मिलेगी।
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन ऑफिस का काम सिर्फ नाम को मंजूरी देना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ता को सही जानकारी मिले और कोई भ्रांति न हो।
निष्कर्ष
ट्रेडमार्क की दुनिया में कदम रखने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपका इरादा सही और साफ-सुथरा है। किसी और की पहचान चुराकर आप अपनी पहचान नहीं बना सकते। और हां, ट्रेडमार्क सिर्फ एक नाम नहीं, एक जिम्मेदारी भी है। अगर आपका इरादा नेक है और नाम मौजूदा कानूनों और नैतिकता के दायरे में है, तो आपका रास्ता खुला है।
इसलिए, अगली बार जब आप ट्रेडमार्क के लिए अप्लाई करें, तो यह ध्यान में रखें कि "जैसा इरादा, वैसा नतीजा।"
Bindu Soni
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