"जिन्हें कल की चिंता होती है, वो आज PF और ESI पंजीकरण जरूर करवाते हैं।"
हमारे देश में काम करने वालों के लिए PF और ESI किसी वरदान से कम नहीं हैं। सोचिए, आज काम करके जो पैसा आप बचाते हैं, वो कल आपकी ज़रूरत के वक्त काम आएगा। और ESI? ये तो आपके मेडिकल खर्चों का मसीहा है। अगर आप कंपनी चला रहे हैं, या फिर HR में हैं, तो ये समझना बहुत ज़रूरी है कि PF और ESI क्यों इतने महत्वपूर्ण हैं।
PF और ESI: क्या है ये बला?
PF यानी Provident Fund और ESI यानी Employees' State Insurance, ये दोनों ही सरकारी योजनाएँ हैं, जो कर्मचारियों के भविष्य और सेहत की सुरक्षा करती हैं। PF एक बचत योजना है, जिसमें आपकी और आपके नियोक्ता की तरफ से हर महीने कुछ पैसे जमा होते हैं। ये पैसा तब काम आता है जब आप रिटायर होते हैं या किसी इमरजेंसी में। वहीं, ESI हेल्थ इंश्योरेंस है, जो आपको बीमारी के समय आर्थिक मदद और इलाज की सुविधा देता है।
अब सोचिए, अगर आपके पास ये दोनों सिक्योरिटीज हैं तो आपको कोई टेंशन नहीं होगी। आपकी और आपके कर्मचारियों की लाइफ सेट हो जाएगी। और हां, इससे आपकी कंपनी की भी इमेज चमक उठेगी।
नया बिजनेस? तो PF और ESI का रजिस्ट्रेशन सबसे पहले
अब अगर आप नए बिजनेस की शुरुआत कर रहे हैं, तो याद रखें कि PF और ESI पंजीकरण भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि GST और अन्य लाइसेंस। नए नियमों के तहत अब नई कंपनी बनाते ही PF और ESI का रजिस्ट्रेशन ऑटोमेटिक हो जाता है। लेकिन अगर आपकी कंपनी पहले से है और आपने PF या ESI का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है, तो तुरंत 'श्रम सुविधा' पोर्टल पर लॉगिन करें और रजिस्ट्रेशन करवाएं। इसमें कंपनी की डिटेल्स, एड्रेस और कर्मचारियों की जानकारी भरनी होती है, और थोड़े समय में आपको EPFO/ESIC का कोड मिल जाता है। इसे संभालकर रखें, क्योंकि इसी से आप आगे की सभी प्रक्रिया को मैनेज कर पाएंगे।
कंपनी रजिस्ट्रेशन और PF/ESI की पहेली
अब अगर आपकी कंपनी पहले से रजिस्टर्ड है और PF और ESI का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, तो अब क्या? यहाँ एक खास बात ध्यान रखने वाली है। जब तक आपकी कंपनी में 20 से कम कर्मचारी हैं, तब तक PF रिटर्न दाखिल करने की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन जैसे ही ये संख्या 20 के पार होती है, आपको PF रिटर्न फाइल करना पड़ेगा, वरना EPFO की तरफ से कार्रवाई हो सकती है।
इसी तरह, ESI के मामले में, अगर आपके पास कर्मचारी नहीं हैं, तो 6 महीने के ग्रेस पीरियड की फाइलिंग 15 दिनों के अंदर करनी होती है। अगर ऐसा नहीं किया, तो ESI निल रिटर्न दाखिल करना पड़ेगा। नहीं तो ESI पोर्टल ही ब्लॉक हो सकता है, और फिर ये झंझट कौन चाहेगा?
PF Compliances: कंपनी का जिम्मा
मान लीजिए आपकी कंपनी में 20 या उससे अधिक कर्मचारी हैं, तो अब आपको PF का ख्याल रखना होगा। PF काटने की जिम्मेदारी आपकी होती है, और ये तभी कटता है जब कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹15,000 से ज्यादा हो। इसमें कर्मचारी और कंपनी दोनों को बेसिक सैलरी का 12% जमा करना होता है।
ध्यान रहे, PF चालान हर महीने की 15 तारीख तक जमा हो जाना चाहिए और मासिक रिटर्न्स 25 तारीख तक। और सालाना रिटर्न? उसकी आखिरी तारीख 30 अप्रैल होती है। अगर ये सब सही तरीके से नहीं किया, तो भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
ESI Compliances: सेहत का जिम्मा
ESI का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है, जितना PF का। अगर आपकी कंपनी में 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं, और जिनकी सैलरी ₹21,000 से कम है, तो वो ESI के लिए एलिजिबल होते हैं। इसमें कर्मचारी की सैलरी का 0.75% और नियोक्ता की तरफ से 3.25% ESI में जमा होता है।
ESI चालान भी हर महीने की 15 तारीख तक बैंक में जमा होना चाहिए। और मासिक रिटर्न भी इसी तारीख तक फाइल करना जरूरी होता है। अगर आपने ये सब सही समय पर कर लिया, तो आप चिंता मुक्त हो सकते हैं।
निचोड़
कुल मिलाकर, PF और ESI पंजीकरण आपकी कंपनी के लिए एक जिम्मेदार कदम है। ये न सिर्फ कानूनी रूप से आपको सुरक्षित रखता है, बल्कि आपके कर्मचारियों को भी आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा प्रदान करता है। एक जिम्मेदार नियोक्ता के रूप में, ये आपकी ड्यूटी है कि आप इन पंजीकरणों को सही तरीके से करवाएं और समय-समय पर इनकी फाइलिंग भी करते रहें।
याद रखें, "जिन्हें कल की चिंता होती है, वो आज PF और ESI पंजीकरण जरूर करवाते हैं।" ये न केवल आपकी कंपनी की छवि को मजबूत करता है, बल्कि कर्मचारियों को भी वफादार और कंपनी के प्रति समर्पित बनाता है। आखिरकार, एक खुशहाल कर्मचारी ही एक सफल कंपनी की नींव है।
Bindu Soni
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