सफल कंपनी वही होती है जो अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और भविष्य का ध्यान रखती है। PF और ESI इसके प्रमुख आधार हैं
सबसे पहले PF के बारे में बात करते हैं
हर कंपनी के लिए PF यानि Provident Fund एक जरूरी चीज़ है। नियोक्ताओं को चाहिए कि वे सही समय पर और सही रकम कर्मचारियों की सैलरी से काटकर उनके PF खाते में जमा करें। ये प्रोसेस जितना सिंपल सुनने में लगता है, उतना ही ध्यान देने लायक होता है। एक छोटी सी गलती, बड़ा फाइन लेकर आ सकती है। इसलिए, सही हिसाब रखना बेहद जरूरी है।
कर्मचारियों को भी अपने PF खाते की नियमित जांच करनी चाहिए। जैसे हम बैंक अकाउंट का स्टेटमेंट चेक करते हैं, वैसे ही PF अकाउंट का स्टेटमेंट भी चेक करना चाहिए। इससे न सिर्फ आपको पता चलता है कि आपका पैसा सही जगह जा रहा है या नहीं, बल्कि आपको अपने भविष्य की प्लानिंग में भी मदद मिलती है।
अब ESI की बारी
ESI यानि Employee State Insurance का रजिस्ट्रेशन भी नियोक्ताओं की जिम्मेदारी होती है। इसके तहत, नियोक्ता को योग्य कर्मचारियों का रजिस्ट्रेशन करवाना होता है और उनकी सैलरी का एक हिस्सा ESI में जमा करवाना होता है।
ESI के तहत मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी कर्मचारियों को होनी चाहिए। चाहे वो मेडिकल बेनेफिट्स हों या फिर कैश बेनेफिट्स, सब कुछ पता होना चाहिए। वहीं, नियोक्ताओं को इसकी समय-समय पर जांच भी करनी चाहिए।
Online Portals से होगी मदद
आजकल, टेक्नोलॉजी ने हर चीज को आसान बना दिया है। PF और ESI की प्रोसेस को भी ऑनलाइन पोर्टल्स के जरिए मैनेज किया जा सकता है। ये न सिर्फ समय बचाता है, बल्कि प्रोसेस को पारदर्शी भी बनाता है।
Compliance Matters: PF और ESI की अनदेखी न करें
नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को नए नियमों और विनियमों के बारे में अपडेट रहना चाहिए। रेगुलर ऑडिट और कम्प्लायंस चेक्स से किसी भी तरह की गलती या अनियमितता को सुधारा जा सकता है।
अगर PF की जरूरत नहीं है?
अगर आपकी कंपनी के निगमन के समय PF पंजीकरण प्राप्त हो जाता है, तो जब तक कर्मचारियों की संख्या 20 की सीमा तक नहीं पहुंचती, तब तक PF रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य नहीं होता। लेकिन अगर आप 20 की सीमा से पहले ही PF फाइलिंग शुरू करना चाहते हैं, तो इसे किसी भी संख्या में कर्मचारियों के साथ शुरू किया जा सकता है।
ध्यान दें, एक बार कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक हो जाने पर, PF रिटर्न न दाखिल करने पर EPFO द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है।
अगर ESI की जरूरत नहीं है?
अगर ESI पंजीकरण कंपनी निगमन के दौरान प्राप्त किया गया है और ESI रिटर्न के लिए कोई कर्मचारी नहीं हैं, तो 6 महीने की ग्रेस पीरियड फाइलिंग को पंजीकरण के 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य है। अगर ग्रेस पीरियड के अंत में भी कोई कर्मचारी नहीं होते हैं, तो आप एक और 6 महीने की ग्रेस पीरियड के लिए फिर से फाइल कर सकते हैं।
लेकिन, ग्रेस पीरियड फॉर्म जमा न करने पर ESI निल रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होता है, और रिटर्न दाखिल न करने से ESI पोर्टल ब्लॉक हो सकता है।
PF Compliances
अगर आपकी कंपनी में 20 या अधिक कर्मचारी हैं, तो उनके PF का ध्यान रखना जरूरी है। कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹15,000 से अधिक होने पर, उन्हें PF के लिए काटा जाता है, जिसमें कर्मचारी और कंपनी दोनों की ओर से बेसिक सैलरी का 12% जमा होता है।
PF चालान हर महीने की 15 तारीख तक और मासिक रिटर्न्स 25 तारीख तक जमा करने होते हैं, जबकि वार्षिक रिटर्न्स की अंतिम तारीख 30 अप्रैल होती है।
ESI Compliances
अगर आपकी कंपनी में 10 या अधिक कर्मचारी हैं और उनकी मासिक आय ₹21,000 से कम है, तो कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) के लिए पात्र होते हैं।
ESI में कर्मचारी की आय का 0.75% और नियोक्ता की तरफ से 3.25% जमा किया जाता है। ESI चालान हर महीने की 15 तारीख तक बैंक में जमा करना होता है, और ESI के मासिक रिटर्न्स भी हर महीने की 15 तारीख तक फाइल करने होते हैं।
आखिर में
PF और ESI का प्रभावी प्रबंधन नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के सहयोग से संभव है। इसमें सूचना प्राप्ति, समय पर योगदान, सटीक रिकॉर्ड रखना, और अनुपालन और लाभ प्राप्ति के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग शामिल है।
याद रखें, सफल कंपनी वही होती है जो अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और भविष्य का ध्यान रखती है। PF और ESI इसके प्रमुख आधार हैं। इसलिए, इसे प्राथमिकता देना न भूलें।
Bindu Soni
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