सेवा क्षेत्र में जीएसटी से बदल रही है भारत की अर्थव्यवस्था
हमारे देश की इकोनॉमी का एक बहुत बड़ा हिस्सा सर्विस सेक्टर यानी सेवा क्षेत्र से आता है। बैंकिंग, इंश्योरेंस, होटल्स, रेस्टोरेंट्स, ट्रांसपोर्टेशन, और तमाम तरह की सर्विसेज... ये सब मिलकर हमारी जीडीपी (GDP) में तगड़ी हिस्सेदारी रखते हैं। लेकिन जब से GST आया है, तब से इस सेक्टर में काफी बदलाव आया है। GST यानी गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स ने भारत की टैक्सेशन व्यवस्था को न केवल सरल बनाया, बल्कि व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए चीज़ें आसान कर दी हैं।
पहले सर्विस सेक्टर में अलग-अलग टैक्स लगते थे—सेवा कर, VAT, लक्ज़री टैक्स वगैरह। यह सब एक साथ मिलकर हर सर्विस प्रोवाइडर के लिए एक सिरदर्द बन जाते थे। लेकिन GST ने इस पूरी प्रक्रिया को एक छतरी के नीचे लाकर सब कुछ आसान कर दिया। अब बस एक ही टैक्स देना होता है, और वो है GST।
होटल और रेस्टोरेंट्स पर जीएसटी का असर
अब बात करते हैं होटल और रेस्टोरेंट्स की। भाई, पहले अगर आप होटल में खाना खाने जाते थे, तो आपका बिल पढ़ते ही माथा चकरा जाता था—अलग-अलग टैक्स देखकर। सर्विस टैक्स, VAT, लग्ज़री टैक्स... कितने टैक्स! लेकिन GST के आने के बाद, ये सब खत्म हो गया। अब सिर्फ एक GST लगता है। और ये GST भी कई स्लैब्स में आता है—5%, 12%, 18%, 28%—मतलब होटल के कमरे के किराए और खाने की कीमत पर निर्भर करता है कि आपसे कितना टैक्स लिया जाएगा। हां, एक मुद्दा जरूर बाकी है, शराब पर GST नहीं लगता, और जो होटल-रेस्टोरेंट्स कई राज्यों में ऑपरेट करते हैं, उन्हें हर राज्य में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है। लेकिन फिर भी, GST ने इस सेक्टर में काफी हद तक सफाई कर दी है।
ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स पर जीएसटी का असर
अब आते हैं ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स पर। जीएसटी से पहले इस सेक्टर का हाल ऐसा था जैसे बिन सिर-पैर की गाड़ी। देश के हर राज्य में अलग-अलग चुंगी (Octroi) और एंट्री टैक्स लगते थे। सोचिए, एक ट्रक को कितनी जगहों पर रुक-रुक कर टैक्स देना पड़ता था। लेकिन GST के लागू होने के बाद, ये सब खत्म हो गया। अब ट्रकों को राज्यों की सीमाओं पर घंटों इंतजार नहीं करना पड़ता। इससे न केवल देश के अंदरूनी ट्रांसपोर्टेशन में सुधार आया है, बल्कि इंटरनेशनल शिपिंग और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट में भी तेजी आई है। जीएसटी ने इस सेक्टर को एक तरह से ग्रीन सिग्नल दे दिया है।
रियल एस्टेट पर जीएसटी का असर
रियल एस्टेट में भी GST ने बड़ी हलचल मचाई है। पहले अगर आप कोई घर खरीद रहे होते, तो VAT, सेवा कर, राज्यों का सेस—कितने सारे टैक्स भरने पड़ते थे। लेकिन अब GST के बाद, ये स्थिति बदल गई है। अगर कोई इमारत बनकर तैयार हो चुकी है और उसके पास कंप्लीशन सर्टिफिकेट (CC) है, तो उस पर GST नहीं लगता। लेकिन अगर इमारत अभी बन रही है, या उसे CC नहीं मिला है, तो फिर GST लगेगा। यहां भी GST की दरें घटाई गई हैं—रेसिडेंशियल प्रॉपर्टीज़ पर 12% से 5% और अफोर्डेबल हाउसिंग केटेगरी में 8% से 1% तक। पर हां, नई GST दरों के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ नहीं मिलेगा, मतलब खरीदने वालों को ये नहीं मिल पाएगा।
सर्विस सेक्टर के लिए कम्पोजिशन स्कीम
अब जो छोटे व्यापारी और सर्विस प्रोवाइडर्स हैं, उनके लिए भी सरकार ने कुछ खास सोचा। 1 अप्रैल 2019 से सर्विस सेक्टर के लिए कम्पोजिशन स्कीम लाई गई। इस स्कीम के तहत, जिनका सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक है, वे नाम मात्र के टैक्स पर काम कर सकते हैं। इसके फायदे भी हैं—कम अनुपालन, कम टैक्स देनदारी और कम पेपरवर्क। लेकिन इसके साथ ही कुछ शर्तें भी हैं, जैसे कि इस स्कीम में इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा, ग्राहक से टैक्स वसूल नहीं सकते, और इंटरस्टेट ट्रांजेक्शन या एक्सपोर्ट नहीं कर सकते। यहां GST की दर 6% (3% CGST + 3% SGST) लागू होती है।
चुनौतियां भी हैं GST में
अब हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। GST ने जहां एक ओर चीजें आसान की हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ चुनौतियां भी खड़ी की हैं। खासकर छोटे व्यापारी और सर्विस प्रोवाइडर्स को GST रिटर्न फाइल करने में दिक्कतें आती हैं, खासकर जब उन्हें टेक्नोलॉजी की पूरी समझ नहीं होती। लेकिन इसके लिए सरकार ने ट्रेनिंग प्रोग्राम और हेल्पलाइन्स शुरू की हैं ताकि व्यापारी GST की बारीकियों को समझ सकें।
GST के आने से कुछ सेवाओं की लागत भी बढ़ गई है। जिन सेवाओं पर पहले कम टैक्स था, अब उन पर GST की ऊंची दरें लागू हो गई हैं। लेकिन इसके बावजूद, GST ने टैक्स चोरी पर अंकुश लगाया है। क्योंकि ये पूरा सिस्टम डिजिटल है, ट्रांजेक्शन में पारदर्शिता बढ़ी है और टैक्स चोरी करना मुश्किल हो गया है। व्यापारियों को अब अपने बिजनेस की सही जानकारी सरकार को देनी पड़ती है, और ये एक अच्छी बात है।
नवाचार और विकास का नया दौर
GST ने सर्विस सेक्टर में इनोवेशन और ग्रोथ को भी बढ़ावा दिया है। जब टैक्स सिस्टम सिंपल और ट्रांसपेरेंट होता है, तो व्यापारी और उद्यमी नए-नए आइडियाज और प्रोजेक्ट्स पर ध्यान दे सकते हैं, बजाय टैक्स के जंजाल में फंसने के। और यही GST की सबसे बड़ी उपलब्धि है—इसने भारत की इकोनॉमी को एक नई दिशा दी है।
तो कुल मिलाकर, GST ने सेवा क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। चुनौतियां हैं, लेकिन उनसे निपटने के रास्ते भी हैं। और जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रही हैं, उससे लगता है कि सर्विस सेक्टर का भविष्य उज्ज्वल है।
Bindu Soni
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