कंपनी के निगमन के बाद ISO प्रमाणन क्यों जरूरी होता है
जब एक नई कंपनी बनती है, तो उसके लिए बाजार में अपनी साख और विश्वसनीयता स्थापित करना सबसे बड़ी चुनौती होती है। अब ऐसे में ISO यानी International Organization for Standardization का प्रमाणन गेम-चेंजर साबित हो सकता है। ये एक इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड है जो अलग-अलग तरह के व्यापारिक और उत्पादन संबंधित मापदंडों को तय करता है।
ISO प्रमाणन आपके ब्रांड को विश्वसनीय बनाता है। इससे न केवल ग्राहकों का विश्वास बढ़ता है, बल्कि व्यापारिक साझेदारियों और सरकारी अनुबंधों के लिए भी ये एक मानदंड के रूप में काम करता है। ये प्रमाणन दिखाता है कि कंपनी ने अपने प्रोडक्शन और मैनेजमेंट के तरीकों को इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड के अनुरूप ढाल लिया है। मतलब, कंपनी को बाजार में एक विश्वसनीय ब्रांड के रूप में पहचान मिलती है।
सबसे प्रसिद्ध ISO प्रमाणन और उनके फायदे
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ISO 9001: Quality Management System (QMS)
ISO 9001 सबसे पॉपुलर ISO सर्टिफिकेशन है जो क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम पर फोकस करता है। ये बिजनेस ऑर्गनाइजेशंस को उनके प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की क्वालिटी को इंप्रूव करने में मदद करता है।
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ISO 14001: Environmental Management
ISO 14001 पर्यावरण मैनेजमेंट पर फोकस करता है। ये ऑर्गनाइजेशंस को उनके एनवायरनमेंटल इम्पैक्ट को कम करने में मदद करता है।
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ISO 45001: Occupational Health and Safety
ISO 45001 व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए है। ये सुनिश्चित करता है कि कार्यस्थल सेफ और हेल्दी रहे।
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ISO 27001: Information Security Management
ISO 27001 इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी मैनेजमेंट को लेकर है, जिससे कंपनियां अपने डेटा की सुरक्षा कर सकें।
इसके अलावा भी कई और ISO स्टैण्डर्ड हैं जैसे ISO 22000 जो फूड सेफ्टी के लिए है, और ISO 50001 जो एनर्जी मैनेजमेंट के लिए है।
IAF Vs. Non-IAF ISO प्रमाणन
IAF (International Accreditation Forum) द्वारा मान्यता प्राप्त ISO प्रमाणन इंटरनेशनल लेवल पर स्वीकार्यता और मान्यता प्रदान करते हैं। IAF सदस्य संगठनों द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट्स वर्ल्डवाइड मान्य होते हैं, जिससे इंटरनेशनल बिजनेस रिलेशन में हेल्प मिलती है।
दूसरी ओर, Non-IAF ISO प्रमाणन वो होते हैं जिन्हें IAF की मान्यता प्राप्त संस्थाओं द्वारा जारी नहीं किया गया होता। इस प्रकार के प्रमाणन की इंटरनेशनल लेवल पर एक्सेप्टेंस नहीं होती और ये कुछ विशेष क्षेत्रों या देशों तक ही सीमित होते हैं।
ISO ऑडिट: क्वालिटी कंट्रोल का टूल
ISO ऑडिट एक प्रकार का क्वालिटी कंट्रोल का टूल है। इसमें एक्सपर्ट ऑडिटर्स द्वारा डॉक्युमेंट्स की रिव्यू, कर्मचारियों से बातचीत और प्रक्रियाओं का अवलोकन शामिल होता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है यह पता लगाना कि कंपनी के ऑपरेशन्स में कोई कमी तो नहीं है और अगर है, तो उसे दूर करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
ये एक तरह का क्वालिटी कंट्रोल का उपकरण है जो कि कंपनियों को उनकी प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है और ग्राहकों को यह आश्वासन देता है कि उनके प्रोडक्ट्स या सर्विसेज विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण हैं।
ISO प्रमाणन का नवीकरण
ISO सर्टिफिकेशन का रिन्यूवल आमतौर पर हर तीन साल में होता है, जिसमें वाइड ऑडिटिंग और वैल्यूएशन की प्रोसेस शामिल होती है। इस दौरान, ऑडिटर ऑर्गनाइजेशन के प्रॉसेस मैनेजमेंट, कर्मचारी योग्यता, ग्राहक संतुष्टि और निरंतर सुधार के प्रयासों का मूल्यांकन करते हैं। रिन्यूवल की यह प्रक्रिया ऑर्गनाइजेशन को लेटेस्ट मार्केट ट्रेंड्स और टेक्निकल प्रोग्रेस के अनुरूप अपने आप को अपडेट रखने का एक मौका देती है।
निष्कर्ष
ISO प्रमाणन न केवल कंपनी को बाजार में एक मजबूत स्थिति प्रदान करता है, बल्कि इससे कंपनी के अंदरूनी मैनेजमेंट और प्रोडक्शन प्रोसेसेस में भी सुधार आता है।
यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि कंपनी के स्थायी विकास और सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ISO सर्टिफिकेशन के जरिए कंपनी को इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड के अनुरूप ढालने से, कंपनी की मार्केट वैल्यू और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।
तो दोस्तों, अगर आप अपने बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं, तो ISO प्रमाणन पर जरूर गौर करें। आखिरकार, गुणवत्ता कभी समझौता नहीं करती, और ISO प्रमाणन इस बात का प्रमाण है।
Bindu Soni
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