"जीएसटी रिफंड प्रक्रिया ऑनलाइन होती है।"
जब हम GST (Goods and Services Tax) की बात करते हैं, तो ये केवल एक टैक्स सिस्टम नहीं है, बल्कि व्यापारियों के लिए एक जरूरी प्रक्रिया भी है। अब सोचिए, आपसे किसी वजह से ज़्यादा GST कट गया, या फिर आपने गलती से IGST की जगह CGST/SGST भर दिया। अब अगर ये पैसा वापस चाहिए, तो क्या करेंगे? जी हां, सही समझे—GST रिफंड क्लेम करेंगे। और भाईसाब, ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बस थोड़ी सी जानकारी चाहिए, जो हम आपको इस ब्लॉग में देने जा रहे हैं। तो बैठिए आराम से और समझिए जीएसटी रिफंड की पूरी कहानी।
रिफंड के लिए कैसे करें आवेदन?
सबसे पहले, GST पोर्टल पर जाइए। यहां आपको RFD-01 फॉर्म भरना होगा। अब फॉर्म भरने में क्या है? सही जानकारी भरिए, गलतियों से बचिए, और साथ में जरूरी दस्तावेज जमा कर दीजिए। इसमें टैक्स का भुगतान का सबूत, जमा किए गए टैक्स की प्रति और अगर आप एक्सपोर्टर हैं, तो निर्यात के दस्तावेज़ भी शामिल करने होंगे।
फॉर्म भरने के बाद क्या होगा? अगर आपका आवेदन सही पाया जाता है, तो RFD-02 में आपको एक पावती (Acknowledgment) मिल जाएगी। लेकिन अगर कहीं गड़बड़ी हो गई, तो RFD-03 के जरिए आपको इसकी जानकारी मिल जाएगी। फॉर्म ठीक हो गया, तो अब अधिकारी RFD-04 में वापसी की राशि को मंजूरी देंगे, और आखिर में RFD-06 में आपका रिफंड ऑर्डर जारी कर देंगे। और हां, ये सारी राशि सीधे आपके बैंक खाते में जमा हो जाएगी।
अब अगर आपकी रिफंड राशि 2 लाख रुपये से कम है, तो भाई आपको डॉक्यूमेंट्स की टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है। बस जो सबूत हैं, उनके आधार पर एक डिक्लेरेशन दाखिल कर दीजिए। अगर कहीं रिफंड में देरी हो गई, तो घबराइए मत, सरकार ब्याज भी देती है। अगर 60 दिनों में रिफंड नहीं मिलता, तो 6% ब्याज मिलेगा। और अगर ये देरी किसी निर्णयकारी प्राधिकरण के आदेश के कारण होती है, तो आपको 9% ब्याज मिलेगा।
कुछ स्पेशल केसेज: कब-कब और क्यों क्लेम करें रिफंड?
अब बात करते हैं उन खास मामलों की जहां आपको GST रिफंड क्लेम करना ही पड़ेगा:
1. गलत टैक्स पेमेंट: कभी-कभी गलती से ज्यादा GST भर दिया जाता है। मसलन, IGST की जगह CGST/SGST भर दिया या उल्टा कर दिया। फिर क्या? अब इस गलती को सुधारने के लिए आपको रिफंड क्लेम करना पड़ेगा। आपने एक ही टैक्स दो बार भर दिया हो या फिर अनजाने में ज्यादा टैक्स भर दिया हो, ऐसे मामलों में GST रिफंड ही आपका सहारा है।
2. एक्सपोर्टर्स के लिए: जो व्यापारी अपना माल एक्सपोर्ट करते हैं, उनके लिए GST रिफंड का बड़ा ही खास प्रावधान है। जब आप एक्सपोर्ट के लिए माल भेजते हैं, तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन आप पहले ही GST का भुगतान कर चुके होते हैं। अब आपको क्या करना है? बस रिफंड क्लेम करिए। और हां, एक खास बात—आप अपने रिफंड के 90% तक की राशि प्रोविजनल रिफंड के रूप में पा सकते हैं। ये आपको आवेदन की स्वीकृति के 7 दिनों के भीतर मिल जाएगा, बशर्ते आप पिछले 5 सालों में किसी कानूनी पचड़े में न फंसे हों।
3. इंटरनेशनल टूरिस्ट्स के लिए: अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी रिफंड की व्यवस्था है। अगर कोई विदेशी टूरिस्ट भारत में शॉपिंग करता है, तो उसे चुकाए गए IGST की वापसी मिल सकती है। ये नियम भारतीय रेजिडेंट्स पर लागू नहीं होता, चाहे वे कितनी भी देर के लिए विदेश में रहें। ये सुविधा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए है, ताकि भारत एक पर्यटक-अनुकूल देश के रूप में और उभर सके।
4. उल्टी कर संरचना (Inverted Tax Structure): अब ये थोड़ा टेक्निकल है, पर समझिएगा ध्यान से। कई बार व्यापारी अपने इनपुट पर ज्यादा GST भरते हैं, जबकि उनके प्रोडक्ट्स की बिक्री पर GST कम होता है। इसे उल्टी कर संरचना कहते हैं। ऐसे मामलों में व्यापारी GST रिफंड का दावा कर सकते हैं। भाई, अपने पैसे को यूं ही क्यों जाने देना, जब आप उसे वापस पा सकते हैं।
आखिर में
तो भाई लोग, ये थी जीएसटी रिफंड की पूरी कहानी। थोड़ा टाइम लग सकता है, लेकिन अगर आपने सही तरीके से फॉर्म भर दिया और जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा कर दिए, तो पैसा वापस आने में कोई परेशानी नहीं होगी। जीएसटी रिफंड का ये प्रोसेस आपके हक के पैसे को वापस दिलाने का तरीका है, तो इसे हल्के में न लें। जरूरत पड़े तो एक्सपर्ट की मदद भी लें, लेकिन अपने पैसे को यूं ही न जाने दें। आखिरकार, टैक्स आपका हक है, और आपका पैसा आपको वापस मिलना ही चाहिए।
तो अगली बार अगर कोई कहे कि जीएसटी का पैसा फंस गया है, तो ये ब्लॉग पढ़कर बताइए, “अरे यार, इतना मुश्किल भी नहीं है, बस थोड़ी सी जानकारी चाहिए।”
और हां, आगे और भी कोई टैक्स संबंधी सवाल हो तो जरूर पूछिएगा, आपकी मदद करने में हमें खुशी होगी!
Bindu Soni
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