कंपनी बन जाने के बाद GST (Goods and Services Tax) पंजीकरण करवाना मतलब जैसे 'शादी के बाद हनीमून' - करना ही चाहिए। क्यों? क्योंकि जब कोई कंपनी बनती है, तो उसे अलग-अलग प्रकार के व्यापारिक लेनदेन में शामिल होना पड़ता है और इन लेनदेनों पर अगर GST लागू होता है तो भाई, कंपनी का GST पंजीकरण होना अनिवार्य हो जाता है।
अब मान लीजिए कि कानूनन GST रजिस्ट्रेशन की बाध्यता नहीं भी है, फिर भी ये रजिस्ट्रेशन स्वेच्छा से करवा लेना चाहिए। क्यों? जीएसटी पंजीकरण से कंपनी 'रजिस्टर्ड डीलर' का दर्जा प्राप्त करती है, जो उसके व्यापार को और अधिक वैधानिक और भरोसेमंद बनाता है। इससे कंपनी अपने व्यापार को और अधिक प्रभावी ढंग से चला सकती है और मार्केट में अपनी साख बना सकती है। GST पंजीकरण के बाद कंपनी अपने ग्राहकों को टैक्स इनवॉयस जारी कर सकती है, जो उसके व्यापार की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
अब सोचिए, जब आपके पास GST रजिस्ट्रेशन होगा तो बड़े और अधिक पेशेवर ग्राहकों और विक्रेताओं के साथ व्यापार करने का मौका मिलेगा। इससे आपकी कंपनी की प्रतिस्पर्धी क्षमता में भी वृद्धि होती है। जीएसटी पंजीकरण का मतलब है कि कंपनी अपने कर दायित्वों को समझती है और उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
GST पंजीकरण व्यापारियों को कई फायदे देता है, जैसे कि इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर अपने उत्पाद बेचने की सुविधा और लोन स्कीम्स तक एक आसान पहुँच मिलना। इसलिए, जीएसटी पंजीकरण केवल व्यापारियों के लिए एक कानूनी जरूरत ही नहीं है, बल्कि यह आधुनिक भारत में व्यापार करने का एक अधिक सुगम, पारदर्शी और लाभकारी तरीका भी है।
When GST Registration Mandatory?
जब किसी व्यापारी या सेवा प्रदाता की वार्षिक बिक्री 40 लाख रुपए (कुछ राज्यों में 20 लाख रुपए) से अधिक होती है, तो उसे जीएसटी के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य हो जाता है। यह सीमा वस्तु विक्रेताओं के लिए है, वहीं सेवा प्रदाताओं के लिए यह सीमा 20 लाख रुपए (कुछ राज्यों में 10 लाख रुपए) है।
अपवादस्वरूप, अंतर-राज्यीय व्यापार करने वाले, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने वाले, और वस्तुओं के आयात-निर्यात करने वाले व्यापारी जीएसटी पंजीकरण के लिए बाध्य होते हैं, चाहे उनकी बिक्री कितनी भी हो।
Multiple GST Registrations
अगर आपका व्यापार एक से अधिक राज्य से संचालित हो रहा है, तो करदाता को प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करना होगा। जैसे मान लीजिए, अगर एक ऑटोमोबाइल कंपनी कर्नाटक और तमिलनाडु में बेचती है, तो उसे कर्नाटक और तमिलनाडु में अलग-अलग जीएसटी पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा। इसके अलावा, एक व्यक्ति एक ही पैन कार्ड पर एक ही राज्य में अपने अलग-अलग व्यवसायों के लिए अलग-अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी ले सकता है।
Composition Scheme
ये स्कीम छोटे व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं के लिए एक बड़ी सहूलियत है। इस स्कीम के तहत, जिन व्यापारियों का सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये तक है, वे इसका लाभ उठा सकते हैं। वहीं, सेवा प्रदाताओं के लिए यह सीमा 50 लाख रुपये है। इस स्कीम में टैक्स की दरें 1% से शुरू होकर 5% तक होती हैं और सेवा प्रदाताओं के लिए 6% होती हैं।
ध्यान रखने वाली बात ये है कि इस स्कीम के अंतर्गत व्यापारी और सेवा प्रदाता इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा सकते और न ही वे अपने ग्राहकों को जीएसटी इनवॉइस जारी कर सकते हैं।
GST Compliances
GST रिटर्न भरने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है। पहले चरण में GSTR-1 फॉर्म भरा जाता है, जिसमें विक्रय की जानकारी देनी होती है, और दूसरे चरण में GST का भुगतान के लिए GSTR-3B फॉर्म भरा जाता है। 5 करोड़ से कम बिक्री वाले व्यापारियों को प्रत्येक तिमाही में और 5 करोड़ से अधिक बिक्री वाले व्यापारियों को हर महीने रिटर्न भरना होता है।
GSTR-1 के लिए मासिक रिटर्न 11 तारीख तक और तिमाही रिटर्न तिमाही के अंत के बाद 13 तारीख तक और GSTR-3B के लिए मासिक रिटर्न 20 तारीख तक और तिमाही रिटर्न 24 तारीख तक भरने की समय सीमा है।
समय पर रिटर्न न भरने पर प्रतिदिन 50 रुपये की लेट फीस और टैक्स भुगतान में देरी पर हर महीने 1.5% का ब्याज लगता है। और हाँ, एक बार GST रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद अगर कोई खरीद बिक्री नहीं भी है तो भी समय पर NIL रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होता है।
जीएसटी पंजीकरण वास्तव में व्यापार की साख, विश्वास और प्रतिस्पर्धा की कुंजी है। यह आधुनिक भारत में व्यापार करने का एक सहज, पारदर्शी और लाभकारी तरीका है। तो अगर आपने अभी तक GST पंजीकरण नहीं करवाया है, तो आज ही करवाएं और अपने व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
Bindu Soni
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