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E-commerce में GST का चक्कर: जानिए कैसे रखें अपने ऑनलाइन Business को टैक्स फ्री

E-commerce में GST का चक्कर: जानिए कैसे रखें अपने ऑनलाइन Business को टैक्स फ्री

ई-कॉमर्स का जमाना है भाई!

आजकल अगर आपने ऑनलाइन शॉपिंग नहीं की है, तो आप कहां हैं? चाहे वो अमेज़न हो, फ्लिपकार्ट हो, या ओला-उबर पर राइड बुकिंग हो, हम सबकी ज़िंदगी ई-कॉमर्स ने पूरी तरह बदल दी है। लेकिन भाई, अगर आप खुद भी इस ऑनलाइन धंधे में उतरने की सोच रहे हैं, तो थोड़ा रुकिए। जीएसटी (GST) का लफड़ा समझना बहुत जरूरी है। नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि मुनाफे से ज्यादा टैक्स का टेंशन खा जाए!

 

ऑनलाइन बिजनेस में जीएसटी का चक्कर

आप चाहे अमेज़न पर अपना प्रोडक्ट बेच रहे हों या उबर के जरिए राइड सर्विस प्रोवाइड कर रहे हों, जीएसटी आपके हर काम में घुसा हुआ है। और भाई, ये ऐसा-वैसा मसला नहीं है। इसमें न सिर्फ वो आदमी आता है जो सामान बेच रहा है, बल्कि वो प्लेटफॉर्म भी शामिल है, जो इन प्रोडक्ट्स या सर्विसेज़ को बेचने की जगह देता है।

जरा सोचिए, अगर आप सामान बेच रहे हैं, तो आपको हर हाल में जीएसटी के लिए पंजीकरण करना ही होगा, चाहे आपका टर्नओवर कितना भी हो। और अगर आप सर्विस बेचते हैं, तो भी टर्नओवर का हिसाब-किताब देखना पड़ेगा। अगर टर्नओवर तय सीमा से ज्यादा है, तो जीएसटी की लाइन में लगना ही पड़ेगा। लेकिन अगर आप धारा 9(5) के तहत कोई सर्विस दे रहे हैं, जैसे कि उबर या ओला की राइड्स, तो फिर जीएसटी कलेक्ट करने का झंझट आपके ऊपर नहीं है। यहां ई-कॉमर्स ऑपरेटर ही ये जिम्मेदारी उठाता है।

 

ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स की जिम्मेदारी

ई-कॉमर्स ऑपरेटर यानी वो लोग जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आपको सामान या सर्विस बेचने का मौका देते हैं। जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ओला, उबर। ये लोग अपना प्लेटफॉर्म आपको देते हैं, और इसके बदले एक फीस चार्ज करते हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इनको टर्नओवर की परवाह किए बिना जीएसटी के लिए पंजीकरण करना ही पड़ता है।

अब सोचिए, अगर आप खुद की वेबसाइट पर सामान बेच रहे हैं, तो आपको ई-कॉमर्स ऑपरेटर नहीं माना जाएगा। मतलब, अगर आप खुद का स्टोर चला रहे हैं, तो जीएसटी के लिए ऑपरेटर वाला लफड़ा नहीं आएगा। लेकिन अगर आप किसी बड़े प्लेटफॉर्म पर सामान बेच रहे हैं, तो फिर ऑपरेटर के साथ आपको भी जीएसटी की गाड़ी में बैठना पड़ेगा।

 

ई-कॉमर्स सेलर्स का काम

ई-कॉमर्स सेलर्स यानी वो लोग जो ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के प्लेटफॉर्म पर सामान या सर्विस बेचते हैं। ये दो तरह के होते हैं – सामान बेचने वाले और सेवाएं बेचने वाले।

  1. सामान बेचने वाले: चाहे आपका टर्नओवर कुछ भी हो, जीएसटी का पंजीकरण करना जरूरी है। अगर आपने पंजीकरण नहीं किया, तो समझिए कि आप कानून की नजर में गलत काम कर रहे हैं।

  2. सर्विस बेचने वाले (जो धारा 9(5) में नहीं आते): इन्हें केवल तभी जीएसटी पंजीकरण करना होता है जब उनका टर्नओवर तय सीमा से ज्यादा हो। मतलब, अगर आपका धंधा छोटा है और धारा 9(5) के तहत नहीं आता, तो थोड़ी राहत है।

  3. धारा 9(5) में उल्लिखित सेवाएं बेचने वाले: अगर आप धारा 9(5) में बताई गई सेवाएं दे रहे हैं, तो आपको जीएसटी का पंजीकरण नहीं कराना पड़ता। यहां जीएसटी का पूरा काम ई-कॉमर्स ऑपरेटर का होता है।

 

जीएसटी कौन इकट्ठा करेगा और भुगतान करेगा?

अब सवाल उठता है कि जीएसटी कौन इकट्ठा करेगा और कौन सरकार को देगा? अगर आप ई-कॉमर्स के जरिए सामान बेच रहे हैं, तो आपको खुद ही जीएसटी इकट्ठा करना है और सरकार को देना है। अगर आप ऐसी सर्विस बेच रहे हैं जो धारा 9(5) में नहीं आती, तो भी यही नियम लागू होगा। लेकिन अगर आप धारा 9(5) में बताई गई सेवाएं बेच रहे हैं, तो फिर जीएसटी इकट्ठा करने और सरकार को देने का जिम्मा ई-कॉमर्स ऑपरेटर का होता है।

धारा 9(5) में कौन सी सेवाएं आती हैं?

 

धारा 9(5) में कुछ खास सेवाएं बताई गई हैं जिनके लिए अलग नियम लागू होते हैं:

  1. यात्री परिवहन सेवाएं: जैसे ओला या उबर के जरिए राइड्स।

  2. आवासीय और ठहराव सेवाएं: जैसे कि होटल या गेस्ट हाउस बुकिंग Goibibo या MakeMyTrip के जरिए।

  3. घरेलू सेवाएं: जैसे कि प्लंबिंग या बढ़ईगीरी, जो UrbanClap जैसे प्लेटफॉर्म पर मिलती हैं।

इन सेवाओं के लिए जीएसटी का सारा काम ई-कॉमर्स ऑपरेटर के जिम्मे होता है, मतलब आपको जीएसटी के लिए अलग से परेशान नहीं होना पड़ेगा।

 

अंत में...

अगर आप ई-कॉमर्स के फील्ड में एंटर करने की सोच रहे हैं या पहले से ही इस फील्ड में हैं, तो जीएसटी के नियमों को समझना बहुत जरूरी है। ये नियम आपके धंधे को कानूनन मजबूत बनाएंगे और टैक्स संबंधी परेशानियों से भी बचाएंगे।

तो भाई, धंधा करिए, लेकिन जीएसटी का ध्यान रखिए! आखिरकार, जमाना ई-कॉमर्स का है, और उसमें टिके रहने के लिए कानून-कायदे समझना बहुत जरूरी है। Happy Selling!

02 Sep

Bindu Soni
Bindu Soni

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