"Applicable to Proprietorship, Partnership, LLP, OPC, Private Limited Company, Limited Company, Nidhi Company, Producer Company, Society, Trust and Section-8 Company, if eligible criteria met for GST Registration"
जब भी GST की बात आती है, हमारे देश के व्यापारियों के लिए ये एक जरूरी और कभी-कभी सिरदर्दी वाला टॉपिक बन जाता है। तो चलिए, आज इस ब्लॉग में हम जीएसटी कंप्लायंस और रिटर्न फाइलिंग को आसान भाषा में समझते हैं,
जीएसटी में कौन-कौन से रिटर्न भरने होते हैं?
जीएसटी में दो तरह के व्यापारी होते हैं – रेगुलर डीलर (Regular Dealer) और कंपोजिशन डीलर (Composition Dealer)। इन दोनों के लिए अलग-अलग रिटर्न भरने का नियम है, जो उनकी सालाना बिक्री पर निर्भर करता है।
रेगुलर डीलर
रेगुलर डीलर्स को चार तरह के जीएसटी रिटर्न भरने होते हैं:
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बिक्री का रिटर्न (GSTR-1): ये रिटर्न हर महीने की 11 तारीख से पहले भरना होता है।
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खरीद का रिटर्न (GSTR-2): हालांकि ये रिटर्न फिलहाल स्थगित है।
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मासिक रिटर्न (GSTR-3B): ये हर महीने की 20 तारीख तक भरना होता है।
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सालाना रिटर्न (GSTR-9): अगले वित्तीय वर्ष के 31 दिसंबर तक भरना होता है।
जो व्यापारी सालाना ₹5 करोड़ से ज्यादा की बिक्री करते हैं, उन्हें हर महीने GSTR-1 और GSTR-3B भरना पड़ता है। जो ₹5 करोड़ तक की बिक्री करते हैं, उन्हें GSTR-1 तीन महीने में एक बार भरना होता है, लेकिन GSTR-3B हर महीने भरना पड़ता है। अगर किसी का पंजीकरण रद्द हो गया है या छोड़ दिया है, तो उन्हें GSTR-10 भरना होता है, जो अंतिम रिटर्न होता है।
कंपोजिशन डीलर
कंपोजिशन डीलर्स को हर तीन महीने में फॉर्म CMP-08 में चालान के साथ टैक्स का भुगतान करना होता है और सालाना रिटर्न GSTR-4 भरना होता है। इन्हें राज्य के बाहर सामान बेचने की इजाजत नहीं होती और विस्तार से लेखा-जोखा रखने की जरूरत भी नहीं होती। टैक्स की दरें अलग-अलग होती हैं – निर्माताओं के लिए 1%, रेस्टोरेंट्स के लिए 5%, और सेवा प्रदाताओं के लिए 6%।
जो लोग ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए बिक्री करते हैं, उन्हें GSTR-8 भी भरना पड़ सकता है।
जीएसटी अनुपालन क्या है?
जीएसटी अनुपालन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यापारी और व्यवसायी जीएसटी के तहत आवश्यक सभी नियमों और विनियमों का पालन करते हैं। इसमें सही समय पर सटीक और पूर्ण रिटर्न फाइल करना, उचित टैक्स चुकाना, और सभी लेनदेन का विस्तृत रिकॉर्ड रखना शामिल है।
निल रिटर्न (NIL Return) क्या है?
निल रिटर्न तब दाखिल किया जाता है जब किसी विशेष समय अवधि में किसी व्यापारी या व्यवसायी द्वारा कोई लेन-देन नहीं किया गया हो। जीएसटी कानून के अनुसार, यदि एक रजिस्टर्ड व्यापारी या व्यवसायी किसी महीने में कोई व्यवसायिक लेन-देन नहीं करता है, तो भी उसे निल रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होता है। इससे सरकार को पता चलता है कि उस अवधि में कोई कर योग्य खरीद या बिक्री नहीं हुई है।
रिटर्न फाइल करते समय आम गलतियाँ
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गलत जानकारी देना: बिक्री, खरीद, और इनपुट क्रेडिट की जानकारी सही और पूरी तरह से दें।
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देर से रिटर्न दाखिल करना: समय पर रिटर्न दाखिल करना जरूरी है, क्योंकि देरी से जुर्माना लग सकता है।
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इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत दावा करना: सावधानी बरतें और सही जानकारी भरें।
अनुपालन नहीं करने पर पेनाल्टी
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देरी से रिटर्न दाखिल करना: हर दिन के हिसाब से जुर्माना देना पड़ता है।
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गलत या भ्रामक जानकारी देना: भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
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कर चोरी: जानबूझकर कर चोरी करने पर कठोर दंड और जेल की सजा भी हो सकती है।
जीएसटी के फायदे
जीएसटी एक व्यवस्थित और साफ-सुथरी कर प्रणाली है जो व्यापारियों के लिए कई फायदे लेकर आती है:
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समान टैक्स: देशभर में एक समान टैक्स की दरें।
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ऑनलाइन प्रोसेस: रिटर्न फाइलिंग से लेकर टैक्स भुगतान तक सब कुछ ऑनलाइन।
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इनपुट टैक्स क्रेडिट: सही रिटर्न फाइल करने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा।
तो दोस्तों, जीएसटी में रिटर्न फाइलिंग कोई रॉकेट साइंस नहीं है। बस थोड़ी सी समझ और सही जानकारी की जरूरत है। अगर आप सही समय पर और सही तरीके से रिटर्न फाइल करेंगे, तो न केवल आप सरकारी पेनाल्टी से बचेंगे, बल्कि आपके व्यापार की साख भी बढ़ेगी।
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Bindu Soni
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