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जीएसटी: नये युग का टैक्स, हर स्टार्टअप के लिए जानना ज़रूरी

जीएसटी: नये युग का टैक्स, हर स्टार्टअप के लिए जानना ज़रूरी

जब जीएसटी (Goods and Services Tax) आया था, तो इसे एक नए युग का टैक्स बताया गया। भारत में कर प्रणाली हमेशा से थोड़ी जटिल रही है, जहां वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी जैसे ढेर सारे टैक्स होते थे। लेकिन फिर आया जीएसटी, जिसने एक ही झटके में पूरी तस्वीर बदल दी। जीएसटी का मतलब था 'One Nation, One Tax'— मतलब, देश भर में एक ही तरह का टैक्स। इससे व्यापार करना आसान हो गया और एकसमान कर दर लागू होने से पूरे देश में व्यापारियों के लिए समान अवसर बने।

 

कैसे बदली GST ने कर प्रणाली की तस्वीर

जीएसटी से पहले, कर प्रणाली इतनी जटिल थी कि कई बार व्यापारियों को समझ ही नहीं आता था कि कौन सा टैक्स कहां देना है। वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी—इतने सारे टैक्स और हर एक का अपना अलग रूल। छोटे व्यापारियों के लिए तो ये सरदर्द से कम नहीं था। लेकिन जीएसटी के आने से सबकुछ बदल गया। अब आपको हर सामान या सेवा पर सिर्फ एक ही टैक्स देना है। और सबसे बड़ी बात, यह टैक्स सिस्टम पूरी तरह से पारदर्शी हो गया है।

जीएसटी ने एक तरह से टैक्स की जटिलताओं को खत्म कर दिया। पहले एक ही चीज पर कई बार टैक्स लगता था, जिसे हम डबल टैक्सेशन कहते हैं। लेकिन जीएसटी ने इस समस्या का भी समाधान कर दिया। इससे सामान की लागत में कमी आई, जिससे व्यापारियों को मुनाफा बढ़ा और उपभोक्ताओं को सस्ते में चीजें मिलने लगीं। पर आसान नहीं था

 

GST का सफर

हालांकि, जीएसटी का लागू होना अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी। छोटे और मध्यम आकार के व्यापारियों के लिए नई टैक्स प्रणाली को समझना आसान नहीं था। compliance cost यानी अनुपालन करने की लागत भी बढ़ गई, जिससे छोटे व्यापारियों पर बोझ बढ़ा। सर्विस सेक्टर में भी जीएसटी का बड़ा असर पड़ा, खासकर उन सेवाओं पर जिन पर पहले के मुकाबले ज्यादा टैक्स लगने लगा।

शुरुआती दौर में व्यापारियों को अपने कारोबारी मॉडल में बदलाव करना पड़ा, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। बहुत से व्यापारियों को तो ये भी नहीं पता था कि किस प्रोडक्ट पर कितना जीएसटी लगेगा। इस वजह से कन्फ्यूजन बढ़ गया और कारोबारियों को परेशानी हुई। लेकिन धीरे-धीरे सबने इसे समझ लिया और अब यह भारतीय व्यापार का एक अहम हिस्सा बन गया है।

 

GST का Structure: क्या है CGST, SGST, और IGST

अब बात करते हैं जीएसटी के स्ट्रक्चर की। जीएसटी को तीन हिस्सों में बांटा गया है: CGST (Central GST), SGST (State GST), और IGST (Integrated GST)। अगर कोई सामान या सेवा एक ही राज्य में बेची जाती है, तो CGST और SGST दोनों लगते हैं। मतलब, केंद्र और राज्य सरकार दोनों को टैक्स मिलता है। लेकिन अगर कोई सामान या सेवा एक राज्य से दूसरे राज्य में बेची जाती है, तो IGST लगता है। यह सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि टैक्सेशन में कोई भी झोल ना हो और दोहराव से बचा जा सके।

 

GST Rates: कौन सा प्रोडक्ट किस स्लैब में आता है

जीएसटी की दरें भी अलग-अलग होती हैं। यह दरें 0%, 5%, 12%, 18%, और 28% हैं। किसी भी प्रोडक्ट या सेवा की जीएसटी दर उस प्रोडक्ट या सेवा की प्रकृति पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, जो चीजें हमारी ज़रूरत की हैं, जैसे कि खाद्य पदार्थ और दवाएं, उन पर कम टैक्स लगता है यानी 5% या 12%। वहीं, जो चीजें लक्जरी मानी जाती हैं, जैसे कि गाड़ियां, एसी, आदि, उन पर 28% तक का टैक्स लगता है।

 

HSN/SAC Codes: एक खास पहचान

जीएसटी के तहत हर प्रोडक्ट और सर्विस को पहचानने के लिए HSN (Harmonized System of Nomenclature) और SAC (Services Accounting Code) कोड का इस्तेमाल होता है। HSN कोड वस्तुओं के लिए होता है और SAC कोड सेवाओं के लिए। यह कोड वैश्विक स्तर पर मान्य होते हैं और इससे व्यापारियों को अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओं के लिए सही जीएसटी दर चुनने में मदद मिलती है।

 

क्यों जरूरी है स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी को समझना

स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी समझना बेहद जरूरी है। कोई भी नया बिजनेस शुरू करते वक्त आपको यह जानना चाहिए कि आपके प्रोडक्ट्स या सर्विसेज पर कौन सा टैक्स लगेगा और कितना लगेगा। अगर आपने सही से जीएसटी की प्लानिंग की तो यह आपके बिजनेस को उड़ान दे सकता है। गलतफहमी या जानकारी की कमी से आपको नुकसान भी हो सकता है।

आज के दौर में, जब हर स्टार्टअप स्केलेबल होना चाहता है, जीएसटी एक ऐसा टूल है जो आपके बिजनेस को नेशनल लेवल पर पहचान दिलाने में मदद करता है। यह आपको compliance में मदद करता है और टैक्सेशन की जटिलताओं से बचाता है।

 

अंतिम शब्द

जीएसटी ने भारतीय कर प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाया है। यह सिर्फ एक टैक्स नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाला कदम है। हां, इसके साथ चुनौतियां भी आईं, लेकिन समय के साथ हमने इन चुनौतियों को पार कर लिया। अब समय है कि हर छोटा-बड़ा व्यापारी और स्टार्टअप इस सिस्टम को समझे और इसका सही इस्तेमाल करे। क्योंकि जीएसटी है—नये युग का टैक्स, जो हर स्टार्टअप के लिए जानना ज़रूरी है।

23 Aug

Bindu Soni
Bindu Soni

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