"GST से विनिर्माण क्षेत्र को टैक्स सिस्टम में सुधार मिला।"
जब से GST आया है, तब से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में काफी बदलाव देखने को मिले हैं। GST यानी Goods and Services Tax ने वो कर दिखाया जो सालों से चला आ रहा था, वो ढर्रा बदल दिया। पहले क्या था? हर स्टेट का अपना अलग टैक्स सिस्टम। किसी स्टेट में VAT अलग, कहीं CST अलग, कहीं उत्पाद शुल्क का झंझट। मतलब टैक्स देने की पूरी प्रक्रिया किसी ट्रेजडी फिल्म से कम नहीं थी। अब GST आया और उसने जैसे इस सेक्टर की ज़िन्दगी बदल दी हो।
GST ने किया लाइफ को सिंपल
GST के आने से पहले, हर निर्माता टैक्स सिस्टम की भूलभुलैया में फंसा रहता था। एक ही सामान पर कई बार टैक्स देना पड़ता था, जिससे कन्फ्यूज़न का लेवल हाई रहता था। ऊपर से अलग-अलग राज्यों के अलग टैक्स रूल्स। सोचिए, कोई बंदा मुंबई से सामान बनाता है और उसे दिल्ली में बेचना चाहता है, तो टैक्स के चक्कर में उसकी हालत पतली हो जाती थी। GST ने आकर इस समस्या को सॉल्व कर दिया। अब बस एक टैक्स, एक सिस्टम।
मतलब GST ने देशभर में एक कॉमन टैक्स स्ट्रक्चर इंट्रोड्यूस किया, जिससे हर किसी का काम आसान हो गया। पहले जहाँ हर स्टेट का अपना अलग टैक्स सिस्टम था, अब पूरे देश में एक ही टैक्स रेट है। इसने ना सिर्फ कारोबारियों की ज़िन्दगी को आसान किया, बल्कि इंटर-स्टेट ट्रेड भी स्मूथ हो गया।
करों के 'जंजाल' से मुक्ति
पहले के टैक्स सिस्टम में क्या होता था? हर स्टेज पर अलग-अलग टैक्स। प्रोडक्ट बनाओ, उस पर VAT दो, फिर उस पर उत्पाद शुल्क। मतलब एक ही चीज़ पर कई बार टैक्स। इसका असर ये होता था कि प्रोडक्ट की लागत बढ़ जाती थी, और आखिर में ग्राहक को वो महंगा पड़ता था। GST ने इस पर ब्रेक लगाया। अब सिर्फ Value Addition पर टैक्स लगता है, यानी हर स्टेज पर सिर्फ उस कीमत पर टैक्स देना पड़ता है जो उस स्टेज पर एड की गई है।
इससे सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि अब प्रोडक्ट की लागत कम हो गई है और चीज़ें सस्ती हो गई हैं। पहले जो सामान 100 रुपए का बनता था, वो टैक्स के चक्कर में 125-126 रुपए तक पहुंच जाता था। अब GST के बाद वही सामान सस्ता हो गया है।
सप्लाई चेन में सुधार
GST का सबसे बड़ा फायदा सप्लाई चेन में हुआ है। पहले हर राज्य की अपनी-अपनी टेक्स दरें होती थीं। मतलब अगर किसी राज्य से दूसरे राज्य में सामान भेजना है तो टैक्स की झंझट में फंसना पड़ता था। इससे बिज़नेस की स्पीड स्लो हो जाती थी और चीज़ें टाइम पर नहीं पहुंच पाती थीं।
अब GST के आने के बाद, एक देश में एक ही टैक्स लागू हो गया है। इससे सामान का मूवमेंट तेज़ हो गया है। व्यापारी और निर्माता आसानी से चीज़ें बेच और खरीद सकते हैं। सबसे बड़ी बात, अब राज्यों की सीमाओं पर टैक्स के चक्कर में समय बर्बाद नहीं होता और सामान जल्दी पहुंचता है।
छोटे और मध्यम उद्यमों को मिला बड़ा मौका
GST ने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) के लिए भी काफी अवसर खोले हैं। पहले SMEs के पास बड़ा सिरदर्द होता था कि वो कैसे बड़े खिलाड़ियों से कम्पीट करें। लेकिन अब GST के चलते उन्हें टैक्स क्रेडिट मिलने लगा है, जिससे उनकी उत्पादन लागत कम हो गई है और वे बड़े उद्योगों के साथ बेहतर तरीके से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
अब SMEs को एक नेशनल मार्केट मिल गया है, जहां वे अपने प्रोडक्ट्स को कहीं भी बेच सकते हैं। इससे उनका व्यापार बढ़ा है और उन्हें ग्रोथ के नए अवसर मिले हैं।
संगठित उद्योग की तरफ बढ़ते कदम
GST के बाद एक और बड़ा बदलाव आया है, वो है असंगठित उद्योगों का संगठित उद्योगों में ट्रांज़िशन। पहले छोटे उद्यम बिना किसी टैक्स सिस्टम के काम करते थे, लेकिन अब उन्हें GST के तहत रजिस्टर होना पड़ता है। इससे उन्हें अपने काम को ज़्यादा सिस्टमैटिक तरीके से करना पड़ता है।
हालांकि, इसके चलते असंगठित विनिर्माण उद्योगों का खर्चा बढ़ गया है क्योंकि GST के नियमों का पालन करना थोड़ा जटिल और महंगा है। लेकिन दीर्घकाल में इससे उन्हें फायदा ही होगा क्योंकि संगठित उद्योग में आकर उन्हें बड़े बाजारों तक पहुंच मिलेगी और उनके बिज़नेस का विस्तार होगा।
निष्कर्ष
GST ने भारतीय विनिर्माण सेक्टर को वो रफ्तार दी है, जिसकी उसे ज़रूरत थी। पहले की जटिल और उलझन भरी टैक्स प्रणाली को हटाकर GST ने एक सरल, सुगम और पारदर्शी टैक्स सिस्टम पेश किया है। इससे ना सिर्फ विनिर्माण क्षेत्र की लागत कम हुई है, बल्कि व्यापार में भी आसानी आई है।
छोटे और मध्यम उद्योगों को जहां इससे बड़ी राहत मिली है, वहीं असंगठित उद्योगों को भी संगठित होने का मौका मिला है। कुल मिलाकर, GST ने भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को नई दिशा दी है, जिससे उसे और ऊँचाइयों तक पहुँचने का अवसर मिला है।
तो, अब समय है कि हम इस नई टैक्स प्रणाली का फायदा उठाएं और अपने उद्योग को नई ऊँचाइयों पर ले जाएं। GST ने हमारे काम को आसान बना दिया है, अब बारी हमारी है कि हम भी इसे अपने कारोबार का पार्ट बनाकर आगे बढ़ें।
Bindu Soni
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