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कंपनी पंजीकरण के बाद जरूरी Compliances: Penalties से बचने के लिए क्या करें

कंपनी पंजीकरण के बाद जरूरी Compliances: Penalties से बचने के लिए क्या करें

भगवान् के लिए ये Compliances मत भूलना, वार्ना Penalties के चक्कर में बिज़नेस का Cash Flow बिगड़ जायेगा

कंपनी को पंजीकृत कराने वालों को लगता है कि बस, जीवन का सबसे बड़ा काम हो गया? लेकिन असली पिक्चर अभी बाकी है, अब तक तो ट्रेलर ही गुजरा है। समझो, जैसे शादी हो गई तो लगता है सब हो गया, लेकिन असली चुनौतियां तो शादी के बाद शुरू होती हैं।

अब, आप सोच रहे होंगे कि मैंने अपनी कंपनी रजिस्टर करवा ली है, अब क्या? ये काम एक शुरुआत है, असली मेहनत और स्मार्टनेस तो अब चाहिए।

 

ऑडिटर की नियुक्ति

जब तक आपके कंपनी की आर्थिक स्थिति पर कोई तीसरा आदमी नजर नहीं डालता, तब तक कैसे पता चलेगा कि सब ठीक ठाक है या नहीं? ऑडिटर की नियुक्ति बहुत जरूरी है। हर कंपनी को पहले 30 दिनों में ही अपने Auditor, अर्थात चार्टर्ड अकाउंटेंट, की नियुक्ति करनी चाहिए। अब सोचो, अगर तुम्हारा एक मित्र हर रुपया-पैसा गिन-गिन के तुम्हें बताए, तो कितनी आराम से हो जाएगा! वैसे ही, यह लेखाकार तुम्हारी कंपनी की वित्तीय स्थिति की अच्छी खासी जाँच पड़ताल करता है और आपको और सरकार को ये जानकारी देता है कि कंपनी financially कैसी कर रही है।

 

व्यापार की शुरुआत

पंजीकृत होने का मतलब यह नहीं कि अब आराम कर सकते हैं। अब तो असली कारोबार की शुरुआत होनी है। कंपनी गठन के बाद, अब बारी है दुनिया को बताने की कि तुम अब व्यापार में हो। इसके लिए आपको एक घोषणा पत्र (फॉर्म 20-A: Commencement of Business) भी MCA पोर्टल पर दाखिल करना होगा। जिसे कंपनी बनने के 180 दिनों के भीतर दाखिल करना अनिवार्य है।

 

लेखा प्रणाली

पैसा बहुत महत्वपूर्ण है, भाई! इसलिए जरूरी है कि आपकी कंपनी का हर एक पैसा की हिसाब-किताब सही हो। चाहे वो आमदनी हो या खर्च, सब कुछ अच्छे से रिकॉर्ड किया जाये। ताकि बाद में सभी प्रकार के Compliances समय पर पुरे किये जा सके, और कंपनी को सही से चलने के MIS रिपोर्ट मिल सके।

 

सबसे महत्वपूर्ण: Statutory रजिस्टर

कंपनी के पंजीकृत कार्यालय पर एक Statutory रजिस्टर होना चाहिए, जिसमें कंपनी के सभी शेयरधारकों, डायरेक्टर्स और अन्य संबंधित व्यक्तियों की सभी डिटेल लिखी होती है। इसी रजिस्टर में कंपनी में होने वाली मीटिंग के मिनट्स भी दर्ज किये जाते हैं। ध्यान देने वाली बात ये कि MCA के अफसर कभी भी आपके रजिस्टर ऑफिस पर Visit कर सकते हैं और ऐसा रजिस्टर न मिलने पर फाइन भी लगा सकते हैं।

 

Detail Points

1. ऑडिटर की नियुक्ति

पहली और मुख्य चीज़! हर कंपनी को पहले 30 दिनों में ही अपने Auditor की नियुक्ति करनी चाहिए। ये चार्टर्ड अकाउंटेंट तुम्हारी कंपनी की वित्तीय स्थिति की अच्छी खासी जाँच पड़ताल करता है। इससे आपको और सरकार को ये जानकारी मिलती है कि कंपनी financially कैसी कर रही है।

2. व्यापार की शुरुआत

कंपनी गठन के बाद अब दुनिया को बताने की बारी है कि आप अब व्यापार में हो। इसके लिए आपको एक घोषणा पत्र (फॉर्म 20-A: Commencement of Business) MCA पोर्टल पर दाखिल करना होगा। इसे कंपनी बनने के 180 दिनों के भीतर दाखिल करना अनिवार्य है।

3. लेखा प्रणाली

पैसे का सही हिसाब-किताब जरूरी है। चाहे वो आमदनी हो या खर्च, सब कुछ अच्छे से रिकॉर्ड किया जाये। ताकि बाद में सभी प्रकार के Compliances समय पर पुरे किये जा सके, और कंपनी को सही से चलने के MIS रिपोर्ट मिल सके।

4. Statutory रजिस्टर

कंपनी के पंजीकृत कार्यालय पर एक Statutory रजिस्टर होना चाहिए। इसमें कंपनी के सभी शेयरधारकों, डायरेक्टर्स और अन्य संबंधित व्यक्तियों की डिटेल लिखी होती है। MCA के अफसर कभी भी आपके रजिस्टर ऑफिस पर Visit कर सकते हैं और ऐसा रजिस्टर न मिलने पर फाइन भी लगा सकते हैं।

 

निष्कर्ष

तो दोस्तों, कंपनी पंजीकृत हो जाने के बाद इन चीजों को नजरअंदाज मत करना। अगर अब तक नहीं किया है तो जल्दी से कर लो, वरना बाद में पछताओगे। कंपनी का बिजनेस सही चलाने के लिए ये सारे Compliances बहुत जरूरी हैं। भगवान के लिए इन Compliances को न भूलें, वरना Penalties के चक्कर में बिज़नेस का Cash Flow बिगड़ जायेगा।

ध्यान में रखो, कम्पनी चलाना शादी से कम नहीं, हर दिन नई चुनौती और हर दिन नई जंग! तैयार रहो, और कम्पनी को बुलंदियों पर ले जाओ!

18 Jun

Bindu Soni
Bindu Soni

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