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कंपनी गठन: अपने बिजनेस ड्रीम को साकार करने की पहली सीढ़ी

कंपनी गठन: अपने बिजनेस ड्रीम को साकार करने की पहली सीढ़ी

"आज मेरे पास कंपनी है, ब्रांड है, Directorship है, क्या है तुम्हारे पास?"

व्यवसाय शुरू करने का ख्वाब

आज के समय में भारत में व्यवसाय शुरू करना हर युवा का सपना बन गया है। लेकिन भाई, सपना देखने और उसे हकीकत में बदलने में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है। कंपनी गठन, इस सपने को साकार करने की पहली सीढ़ी है। सबसे पहली बात होती है कंपनी का नाम चुनने की। नाम ऐसा होना चाहिए जो पहले से मौजूद न हो और जो आपकी कंपनी की पहचान और विशेषता को दर्शाए। तो चलिए, जानते हैं इस प्रक्रिया को विस्तार से।

 

Name Approval - नाम की मंजूरी

जब आप अपनी नई कंपनी की सोच रहे होते हो, तो उसके लिए एक खास नाम की जरूरत होती है। नाम रखने से पहले, वह नाम अवैलेबल है या नहीं, इसकी जाँच पड़ताल होती है। इसके लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ का दरवाज़ा खटखटाना पड़ता है। अगर वो नाम पहले से किसी और के पास नहीं है, और वह नाम किसी भी तरह का भ्रांति पैदा नहीं कर रहा है, तो नाम की मंजूरी हो जाती है। लेकिन हां, यह सब अब पेपर पर नहीं होता। डिजिटल युग में यह ऑनलाइन किया जाता है।

 

Required Documents - जरूरी दस्तावेज़

अगर आप अपनी कंपनी का पंजीकरण करवाना चाहते हो, तो कौन-कौन से दस्तावेज़ चाहिए होंगे? सबसे पहले तो सभी का पैन कार्ड चाहिए होगा, साथ में ID Proof और Address Proof के लिए पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस या वोटर ID भी लगेगा। सभी का पासपोर्ट साइज फोटो भी जरूरी है। साथ ही किसी व्यापारिक जगह का रेंट एग्रीमेंट और लैंडलॉर्ड की NOC, जिसमें ये लिखा हो कि उसे इस एड्रेस पर आपकी व्यापारिक गतिविधियों से कोई प्रॉब्लम नहीं है।

 

Digital Signature - डिजिटल हस्ताक्षर

अब बात आती है डिजिटल हस्ताक्षर की। यह डिजिटल हस्ताक्षर क्या चीज़ है, तो समझ लो कि यह एक ऑनलाइन तरीका है जिससे तुम अपने दस्तावेज़ को सुरक्षित तरीके से हस्ताक्षर कर सकते हो। अब, जब तुम अपनी नई कंपनी का पंजीकरण करवाने जाओ, तो तुम्हें कुछ ऐसे दस्तावेज़ सबमिट करने होते हैं, जिन पर डिजिटल हस्ताक्षर की ज़रूरत होती है। और ये सब ऑनलाइन होता है, जिससे तुम्हें कहीं भी जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

 

DIN - डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर

फिर एक महत्वपूर्ण चीज़ है 'डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN)'। हर डायरेक्टर को अपना पहचान पत्र होता है, जिसे DIN कहते हैं। यह एक अद्वितीय नंबर होता है जो प्रत्येक डायरेक्टर को सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है।

 

Auto Allotment - ऑटो अलॉटमेंट

अब जब आपकी कंपनी रजिस्टर हो जाती है, तो समझो एक सरप्राइज गिफ्ट की तरह कुछ चीज़ें खुद-ब-खुद साथ में मिल जाती हैं। जैसे बैंक खाता जिसमें तुम अपने बिज़नेस का सारा पैसा जमा कर सकते हो, पीएफ और ईएसआई पंजीकरण, जिससे तुम्हारे कर्मचारियों का भविष्य भी सुरक्षित रहता है। पैन और टैन, जो तुम्हारी कंपनी की पहचान होती है, जिसकी जरुरत हर financial transaction में पड़ती है। कुछ राज्यों में प्रोफेशनल टैक्स रजिस्ट्रेशन भी मिल जाता है।

 

व्यवसाय में धैर्य और संघर्ष

भाई, व्यवसाय में धैर्य और संघर्ष बहुत जरूरी है। हर कदम पर चुनौतियां आएंगी, लेकिन बिना डरे, अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाएं। सफलता उसी को मिलती है जो मेहनत करने से पीछे नहीं हटता। तो, आगे बढ़ो, अपने सपनों को उड़ान दो और अपने नाम का परचम लहराओ।

आज मेरे पास कंपनी है, ब्रांड है, Directorship है, क्या है तुम्हारे पास?

 


इस ब्लॉग के माध्यम से हमने आपको कंपनी गठन की प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाने की कोशिश की है। अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो बेझिझक पूछिए। हम आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार हैं। Happy Business Starting!

17 Jun

Bindu Soni
Bindu Soni

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