"Applicable to LLP, OPC, Private Limited Company, Limited Company, Nidhi Company, Producer Company and Section-8 Company"
कंपनियों की दुनिया में अक्सर बहुत सारे बदलाव आते हैं। नाम बदलना, उद्देश्य बदलना, ऑफिस का पता बदलना - ये सब कुछ ऐसे ही बदलाव हैं जो किसी भी कंपनी को प्रभावित कर सकते हैं। ये बदलाव सिर्फ कंपनी की आंतरिक संरचना को ही नहीं, बल्कि उसकी मार्केट में पहचान और स्थिति को भी नया रूप देते हैं। ये सभी प्रक्रियाएं जितनी जटिल लग सकती हैं, उतनी ही महत्वपूर्ण भी होती हैं।
अब, किसी भी कंपनी के लिए नाम बदलना कोई छोटी बात नहीं होती। ये पूरी प्रक्रिया बोर्ड मीटिंग से शुरू होती है, जहां नए नाम के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती है। इसके बाद RUN (Reserve Unique Name) आवेदन के जरिए नए नाम की जांच होती है। फिर EGM (Extraordinary General Meeting) में शेयरहोल्डर्स से अंतिम मंजूरी ली जाती है। इसके बाद MGT-14 और Form INC-24 के माध्यम से नाम परिवर्तन की आधिकारिक प्रक्रिया पूरी की जाती है।
नाम बदलने की प्रक्रिया
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बोर्ड मीटिंग: सबसे पहले, बोर्ड मीटिंग होती है जहां नए नाम के प्रस्ताव पर चर्चा होती है और उसे मंजूरी मिलती है।
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RUN आवेदन: नए नाम की जांच के लिए RUN (Reserve Unique Name) आवेदन किया जाता है।
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EGM: Extraordinary General Meeting में शेयरहोल्डर्स से अंतिम मंजूरी ली जाती है।
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फॉर्म भरना: MGT-14 और Form INC-24 भरकर नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी की जाती है।
जरूरी दस्तावेज़ में कंपनी का वर्तमान COI, MOA & AOA, निदेशक और शेयरहोल्डरों की सूची, अधिकृत निदेशक के डिजिटल हस्ताक्षर और Board & EGM Resolution, EGM Notice & Attendance Sheet, Altered MOA & AOA, Name Approval Letter शामिल होते हैं। लेकिन ध्यान रहे, नाम बदलने से पहले कंपनी के सारे ROC संबंधी Compliances पूरे होने चाहिए। नाम बदलने के बाद, इसे सभी जगह अपडेट करना जरूरी है, जैसे बैंक खाते, पैन कार्ड, सभी दूसरे सरकारी पंजीकरण, और दो साल तक नए नाम के साथ पुराने नाम का भी इस्तेमाल करना पड़ता है।
उद्देश्य में परिवर्तन की प्रक्रिया
उद्देश्य में परिवर्तन भी किसी कंपनी के लिए एक बड़ा कदम होता है, जिसके लिए MOA (Memorandum of Association) में बदलाव आवश्यक होता है। इसमें भी, कंपनी के निदेशकों की बैठक और फिर शेयरहोल्डर्स की विशेष बैठक में चर्चा के बाद 75% शेयरहोल्डर्स की मंजूरी से बदलाव की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
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बोर्ड मीटिंग: पहले कंपनी के निदेशकों की मीटिंग होती है।
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विशेष बैठक: फिर शेयरहोल्डर्स की विशेष बैठक में इस पर चर्चा होती है।
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शेयरहोल्डर्स की मंजूरी: अगर 75% शेयरहोल्डर्स मान जाते हैं, तो बदलाव का प्रस्ताव पास हो जाता है।
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फॉर्म भरना: इसके बाद फॉर्म MGT-14 भरकर, कंपनी रजिस्ट्रार के पास इसे दर्ज करवाया जाता है।
इस प्रक्रिया में विभिन्न दस्तावेज जैसे कि बोर्ड मीटिंग के मिनट्स, EGM के मिनट्स, Special Resolution की कॉपी, संशोधित MoA शामिल होते हैं।
राज्य के भीतर पते में परिवर्तन की प्रक्रिया
राज्य के भीतर पते में बदलाव करना एक सीधी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी को कुछ जरूरी कदम उठाने पड़ते हैं।
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बोर्ड मीटिंग: पहला कदम है कंपनी की बोर्ड मीटिंग बुलाना जहां EGM आयोजित करने का फैसला होता है।
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EGM: EGM में, कंपनी के शेयरधारकों को पंजीकृत कार्यालय के पते में बदलाव के लिए विशेष प्रस्ताव पर मतदान करना होता है।
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फॉर्म भरना: ये प्रस्ताव पास हो जाने के बाद, कंपनी को अगले 30 दिनों के भीतर दो फॉर्म - INC-22 और MGT-14 - रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC) में जमा करने होते हैं।
यह सुनिश्चित करना होता है कि पते का बदलाव करते समय कंपनी के सभी दायित्वों का ध्यान रखा जाए और इससे जुड़े सभी पक्षों को उचित सूचना दी जाए।
दूसरे राज्य में पते में परिवर्तन की प्रक्रिया
दूसरे राज्य में पते का बदलाव करना थोड़ा जटिल होता है।
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बोर्ड मीटिंग: सबसे पहले, कंपनी की बोर्ड मीटिंग बुलानी पड़ती है।
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EGM: EGM में इस बदलाव के लिए एक विशेष प्रस्ताव पारित करना होता है।
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फॉर्म भरना: विशेष प्रस्ताव पारित हो जाने के 30 दिन के भीतर, कंपनी को दो फॉर्म, INC-23 और MGT-14, पुराने ROC को भेजने होते हैं। ये दो फॉर्म फाइल करने से एक महीने पहले, कंपनी को अख़बार में कार्यालय के पते का बदलाव का विज्ञापन प्रकाशित करना होगा।
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सूचना देना: हर जमाकर्ता और कंपनी के कर्जदार को पूर्व सूचना देनी होगी।
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केंद्रीय सरकार की अनुमति: कंपनी को केंद्रीय सरकार से भी इस बदलाव की अनुमति लेनी होती है।
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फॉर्म INC-28: उसके बाद फॉर्म INC-28 दोनों राज्यों के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC) को भेजना होता है।
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फॉर्म INC-22: फिर, नए ROC को फॉर्म INC-22 भेज कर इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है।
कंपनियों के लिए ये बदलाव जरूरी होते हैं ताकि वे अपनी ग्रोथ और डेवेलपमेंट की राह पर बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सकें। इन बदलावों को करते समय सभी विधिक प्रक्रियाओं का पालन करना और सभी आवश्यक दस्तावेजों को सही तरीके से तैयार करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
यह ब्लॉग इस बात पर जोर देता है कि चाहे नाम बदलना हो, उद्देश्य में परिवर्तन करना हो, या पते में बदलाव करना हो, हर कदम पर पूरी सावधानी और सही प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी है। इन प्रक्रियाओं को पूरा करने से कंपनी न सिर्फ कानूनी रूप से मजबूत बनती है, बल्कि बाजार में उसकी स्थिति भी मजबूत होती है।
Bindu Soni
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