व्यापार में, एक अच्छे वेंडर समझौते से बेहतर कोई सुरक्षा नहीं होती
जब हम बिजनेस की शुरुआत करते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में आता है - "अब सामान कहां से लाएं?" या फिर "किससे ये सर्विस लें?"। अब भइया, ये सवाल बहुत बड़ा है और इसके जवाब में सही वेंडर या सप्लायर का चुनाव करना सबसे बड़ी टेंशन होती है। क्योंकि, अगर वेंडर अच्छा नहीं निकला तो समझो बिजनेस की बैंड बजनी तय है। इसीलिए, वेंडर/सप्लायर एग्रीमेंट्स की बात सामने आती है। ये कोई साधारण कागज-पत्तर नहीं होता, बल्कि ये हमारे बिजनेस की सुरक्षा का मजबूत किला होता है।
वेंडर/सप्लायर एग्रीमेंट क्या बला है?
अब ये वेंडर/सप्लायर एग्रीमेंट क्या है? इसका सीधा मतलब है - एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट जो आपके बिजनेस और आपके वेंडर या सप्लायर के बीच होता है। इसमें सब कुछ लिखा होता है - क्या सप्लाई होगा, कितनी क्वांटिटी होगी, कितनी कीमत होगी, कब और कैसे डिलीवरी होगी, पेमेंट कैसे और कब करना है, और अगर कोई पंगा हो गया तो उसे कैसे सुलझाया जाएगा। भाई, ये सब बातें पहले से लिखी रहेंगी तो बाद में ना आपके पास कोई शिकायत होगी और ना ही वेंडर की तरफ से कोई रोना-धोना।
क्यों जरूरी है वेंडर/सप्लायर एग्रीमेंट?
अब सोचिए, आप किसी सेमिनार के लिए 500 कुर्सियाँ मंगवा रहे हैं। आपने सब कुछ फोन पर तय कर लिया, लेकिन डिलीवरी के दिन आपको 300 कुर्सियाँ ही मिलीं। अब आपका सेमिनार तो खराब हुआ ही, साथ में आपके पैसे भी फंस गए। ऐसे में अगर आपके पास वेंडर/सप्लायर एग्रीमेंट होता, तो सारी बातें लिखित में होतीं और आपको सिरदर्द नहीं झेलना पड़ता।
वेंडर/सप्लायर एग्रीमेंट का असली मकसद यही है कि आपके और आपके वेंडर के बीच सब कुछ क्लियर हो। ये एग्रीमेंट आपके बिजनेस को तीन तरह से सुरक्षित रखता है - फाइनेंशियल सेफ्टी, ऑपरेशनल सेफ्टी, और लॉन्ग-टर्म रिलेशनशिप। चलिए, अब देखते हैं कि इस एग्रीमेंट में क्या-क्या चीजें शामिल होनी चाहिए।
1. Detailed Product or Service Description:
भईया, सबसे पहले और सबसे जरूरी चीज़ - जो सामान या सर्विस आप ले रहे हैं, उसका पूरा और सही-सही ब्योरा देना चाहिए। इसमें क्वालिटी, क्वांटिटी, साइज़, रंग, और कैसे इस्तेमाल करना है - ये सब बातें साफ-साफ लिखी होनी चाहिए। ताकि बाद में ये ना हो कि आपने A क्वालिटी के आइटम मंगवाए और वेंडर ने C क्वालिटी का सामान भेज दिया। ये सब लिखित में होगा तो ना आपका नुकसान होगा और ना ही वेंडर का कोई बहाना चलेगा।
2. Pricing, Delivery और Payment Terms:
अब पैसे की बात - इस मामले में गड़बड़ी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती। एग्रीमेंट में साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि कितना पैसा देना है, कब देना है और कैसे देना है। साथ ही, अगर कोई डिस्काउंट या सरचार्ज है तो वो भी साफ-साफ मेंशन होना चाहिए। इससे ये होगा कि बाद में कोई "तू-तू, मैं-मैं" की नौबत नहीं आएगी और आपके और वेंडर के बीच साफ-साफ बात होगी। साथ ही, डिलीवरी के टाइम, प्लेस, और प्रोसेस को भी क्लियर किया जाना चाहिए ताकि सब कुछ टाइम पर और सही जगह पर पहुंचे।
3. Quality Control और Dispute Resolution:
भाईसाब, क्वालिटी पर कभी समझौता नहीं करना चाहिए। एग्रीमेंट में ये चीज़ तय होनी चाहिए कि अगर सामान या सर्विस की क्वालिटी सही नहीं निकलती है, तो क्या करना है। और अगर कोई झगड़ा हो जाता है, तो उसे सुलझाने का तरीका भी पहले से तय होना चाहिए। इससे ये फायदा होगा कि कोई भी विवाद आसानी से और जल्दी सुलझ जाएगा और बिजनेस पर असर नहीं पड़ेगा।
4. Termination Clauses:
अब मान लीजिए कि किसी कारण से आपको या वेंडर को एग्रीमेंट खत्म करना पड़े। तो भैया, इसके भी नियम और शर्तें पहले से तय होनी चाहिए। एग्रीमेंट में ये साफ लिखा होना चाहिए कि किन हालातों में एग्रीमेंट खत्म हो सकता है, कैसे खत्म होगा, और इसके क्या परिणाम होंगे। इससे दोनों पार्टियों को पता रहेगा कि अगर कोई मुसीबत आई तो कैसे निपटना है।
अंत में...
वेंडर/सप्लायर एग्रीमेंट्स की बात ऐसी है कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चाहे आपका बिजनेस बड़ा हो या छोटा, ये एग्रीमेंट आपके लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। इससे न सिर्फ आपका बिजनेस सुरक्षित रहता है, बल्कि आपके और आपके वेंडर के बीच एक मजबूत और स्थायी रिश्ता भी बनता है। तो अगली बार जब आप किसी वेंडर या सप्लायर से डील करें, तो ये ध्यान रखें कि "कागज पर सबकुछ पक्का है या नहीं?" क्योंकि व्यापार में, एक अच्छे वेंडर समझौते से बेहतर कोई सुरक्षा नहीं होती।
Bindu Soni
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