एक सही टीम बनाना कोई हंसी-खेल नहीं है। इसमें दिमाग भी लगता है और दिल भी। जब आप एक टीम तैयार कर रहे होते हैं, तो ये सिर्फ लोगों को जोड़ने की बात नहीं होती, बल्कि सही टैलेंट को पहचानकर उन्हें एक साथ काम करने के लिए तैयार करना होता है। लेकिन सच कहें, तो टीम बनाने से भी बड़ा चैलेंज उसे सही दिशा में लेकर जाना होता है। और भाई, ये कोई शायराना बात नहीं है, बल्कि हर उस बंदे का दर्द है जो लोगों को मैनेज करता है।
चलो, आज इसी पर बात करते हैं।
1. सही टैलेंट ढूंढना: "Mission Impossible Part-1"
टीम बनानी है? सही बंदों को ढूंढना सबसे पहली और सबसे बड़ी टेंशन है। कैंडिडेट्स के पास रेज़्यूमे तो टन भर के होते हैं, लेकिन उनमें से सही इंसान चुनना, जो आपकी कंपनी की वाइब और वैल्यूज के साथ फिट बैठे, ये अपने-आप में एक टास्क है।
मान लो, किसी के पास ज़बरदस्त स्किल्स हैं, लेकिन अगर उसका वर्क एटिट्यूड आपकी टीम से मेल नहीं खाता, तो समझो दिक्कत तय है। और फिर, आज के टाइम में जहां हायरिंग में देरी हुई, वहीं अच्छे कैंडिडेट हाथ से निकल जाते हैं।
तो करना क्या है?
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Smart Hiring Tools यूज करो।
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इंटरव्यू प्रोसेस को लंबा खींचने के बजाय टारगेटेड सवाल पूछो।
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कैंडिडेट के सिर्फ स्किल्स नहीं, बल्कि उसकी company values के साथ compatibility पर भी ध्यान दो।
2. Positive Culture: "काम करो लेकिन Smile के साथ"
टीम बन गई, लेकिन अब उनको साथ लेकर चलना है। इसके लिए एक पॉजिटिव और मोटिवेटिंग माहौल तैयार करना सबसे जरूरी है।
देखो, एक अच्छा वर्क एन्वायरनमेंट सिर्फ AC और fancy desks से नहीं बनता। ये बनता है सपोर्टिव माहौल से, जहां हर बंदा फील करे कि उसकी वैल्यू है। यहाँ पर लीडरशिप का रोल बहुत बड़ा होता है। अगर आपका मैनेजर खुद मोटिवेटेड है और दूसरों की हेल्प करता है, तो पूरी टीम एकदम शानदार परफॉर्म करेगी।
कुछ बातें ध्यान में रखो:
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Feedback Sessions रेगुलर रखो।
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टीम में Respect और Collaboration को बढ़ावा दो।
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थोड़ी मस्ती-मज़ाक वाली activities भी जरूरी हैं। सिर्फ काम-काम-और-काम से टीम जल्दी बोर हो जाएगी।
3. Employee Expectations: "सपने और सैलरी"
हर बंदे के अपने सपने और उम्मीदें होती हैं। कोई अच्छी सैलरी चाहता है, तो किसी को ज्यादा छुट्टियां चाहिए। किसी को फ्रीडम चाहिए, तो किसी को प्रमोशन। अब भाई, हर किसी की उम्मीदें पूरी करना तो मुश्किल है, लेकिन expectation management करना जरूरी है।
कंपनी को करना क्या है?
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सबसे पहले अपने एम्प्लॉईज़ से खुलकर बात करो।
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उनके करियर पाथ को क्लियर करो।
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अगर सैलरी में फ्लेक्सिबिलिटी नहीं है, तो growth opportunities पर फोकस करो।
छोटा सा ट्रिक: जब भी एम्प्लॉई को फीडबैक दो, उसे पॉजिटिव और कंस्ट्रक्टिव तरीके से दो। इससे उनकी उम्मीदें भी सही सेट होंगी और उनका मोटिवेशन भी बना रहेगा।
4. KPI & KRA: "परफॉर्मेंस का नया पैमाना"
किसी भी टीम का परफॉर्मेंस तभी सही मापा जा सकता है, जब आपके पास सही Key Performance Indicators (KPI) और Key Result Areas (KRA) हों।
अब मुश्किल ये है कि KPI बनाते वक्त ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि क्या मापें और कैसे मापें। अगर मापदंड सही नहीं होंगे, तो या तो लोग कंफ्यूज हो जाएंगे या फिर फ्रस्ट्रेट।
तो क्या करें?
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KPI और KRA को company goals से लिंक करो।
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उन्हें रियलिस्टिक और achievable बनाओ।
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हर तीन महीने में इन्हें रिव्यू करो और जरूरत हो तो अपडेट करो।
5. ट्रेनिंग मैनेजमेंट: "सीखना बंद तो बढ़ना बंद"
अब जब टीम तैयार हो गई, तो इसे समय-समय पर अपग्रेड करना भी जरूरी है। ट्रेनिंग और डेवेलपमेंट सिर्फ एक ऑप्शन नहीं है, बल्कि एक जरूरी इन्वेस्टमेंट है।
देखो, टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री में हर रोज कुछ नया हो रहा है। अगर आपकी टीम अपडेटेड नहीं है, तो आप बहुत जल्दी आउटडेटेड हो जाएंगे।
क्या करना है?
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Custom Training Programs बनाओ।
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ट्रेनिंग सिर्फ आज की जरूरतों को ही नहीं, बल्कि भविष्य की चुनौतियों को भी ध्यान में रखकर होनी चाहिए।
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ट्रेनिंग के रिजल्ट्स मापने के लिए सही मैट्रिक्स यूज करो।
6. Retention: "टिकाऊ टीम बनाओ"
सबसे बड़ा सच ये है कि सिर्फ सही टैलेंट को हायर करना काफी नहीं है। असली कला उसे लंबे समय तक कंपनी में बनाए रखने की है।
इसके लिए जरूरी है:
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एम्प्लॉईज़ को काम में ownership दो।
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उनकी growth का ख्याल रखो।
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छोटे-छोटे efforts, जैसे appreciation mails, bonuses, या team outings बहुत मायने रखते हैं।
अंत में...
टीम बनाना एक continuous process है। इसमें सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि सही प्लानिंग और execution भी चाहिए। और हां, जब चीजें मुश्किल लगें, तो याद रखो:
“बड़ी से बड़ी चुनौतियों का हल तभी निकलता है जब आप छोटी-छोटी कोशिशें करना शुरू करते हैं।”
तो जुट जाओ, क्योंकि एक solid टीम ही आपकी कंपनी की सबसे बड़ी ताकत होती है। 🚀
Bindu Soni
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