सही दिशा में उठाया गया हर कदम आपको आपके गोल के और करीब ले जाता है। Keep hustling, keep growing!
जब कोई कंपनी नई-नई शुरू होती है, तब उसके पास सीमित पूंजी होती है। जैसे-जैसे कंपनी का कारोबार बढ़ता है, वैसे-वैसे उसको और पैसों की जरूरत पड़ती है। खासकर जब वो नया प्रोजेक्ट हाथ में लेती है या अपने बिजनेस को और बड़ा करना चाहती है। शुरुआती दौर में कंपनी बैंक से लोन ले लेती है, लेकिन दीर्घकालिक फंडिंग के लिए, अपनी अधिकृत पूंजी (Authorized Capital) बढ़ाने की जरूरत होती है। अधिकृत पूंजी का मतलब है कि कंपनी अधिकतम कितना पैसा शेयर्स के जरिए जुटा सकती है।
ये सब करने के लिए कंपनी को कुछ कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जैसे कि शेयरधारकों की मीटिंग बुलाना, और MOA (Memorandum of Association) में बदलाव करना। उसके बाद इन बदलावों को रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC) के पास जमा करना पड़ता है।
इसके अलावा, 'Paid-up Capital' भी अहम होती है, जो शेयरधारकों द्वारा कंपनी में लगाया गया पैसा होता है। इसका मकसद होता है कंपनी को ज्यादा शेयर बेचकर ज्यादा पैसा जुटाने की छूट देना, ताकि वो और बड़ा हो सके और मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत कर सके। सही तरीके से की गई प्रक्रिया से कंपनी का भविष्य सुनहरा हो सकता है।
Process of Increase of Authorized Capital
तो दोस्तों, अगर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की अधिकृत पूंजी बढ़ानी है, तो सबसे पहले कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (AoA) की जाँच करनी होगी। इसके बाद बोर्ड मीटिंग बुलाकर इसमें इस पर चर्चा करनी होगी और संकल्प पास करना होगा। अगर AoA में संशोधन की जरूरत हो, तो इसके लिए असाधारण सामान्य बैठक (EGM) बुलानी पड़ेगी और शेयरधारकों की मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद, फॉर्म SH-7 भरकर इसे कंपनी रजिस्ट्रार (ROC) के पास जमा करना होगा और मंजूरी प्राप्त करनी होगी।
Document Required
अब बात करते हैं डॉक्यूमेंट्स की। अधिकृत पूंजी बढ़ाने के लिए आपको कई दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी। जैसे कि निदेशकों की बैठक के लिए नोटिस, बोर्ड रिजोल्यूशन, आम सभा की सूचना, असाधारण सामान्य सभा का प्रस्ताव, संशोधित MOA और AOA, Form SH-7, बोर्ड की बैठक और आम सभा की कार्यवृत्ति, ऑडिटर की रिपोर्ट और प्रमाणित बैलेंस शीट, तथा आवश्यक फीस और चार्जेस का भुगतान।
Share Allotment
शेयर आवंटन (Share Allotment) की बात करें तो, सबसे पहले कंपनी के MOA & AOA के हिसाब से तय होता है कि शेयर कैसे और किसको मिलेंगे। जो लोग शेयर चाहते हैं, वो अपना आवेदन देते हैं, और फिर कंपनी उन्हें शेयर आवंटित करती है। शेयर मिलने के बाद, हर शेयरधारक को एक प्रमाणपत्र मिलता है, जो ये दर्शाता है कि वो कंपनी के कितने शेयर के मालिक हैं। इसके साथ ही, कंपनी को MCA (Ministry of Corporate Affairs) में भी इस बात की जानकारी देनी होती है कि उन्होंने शेयर कैसे बांटे हैं। आखिर में, जो लोग शेयर लेते हैं, वो उसकी कीमत चुकाते हैं और कंपनी इसका हिसाब-किताब रखती है।
Share Transfer
अब बात करते हैं शेयर ट्रांसफर की। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में शेयर ट्रांसफर का मतलब होता है कि जब कंपनी के शेयरों को एक व्यक्ति या संस्था से दूसरे को बेचा या ट्रांसफर किया जाता है। इसके लिए एक Form SH-4 भरना पड़ता है जिसमें बेचने और खरीदने वाले की जानकारी होती है, और साथ ही स्टैम्प ड्यूटी भी देनी पड़ती है जो अलग-अलग जगह पर अलग हो सकती है। फिर इस फॉर्म को कंपनी के बोर्ड के पास भेजा जाता है ताकि वो इसे मंजूरी दे सकें। बोर्ड की मंजूरी के बाद कंपनी के रजिस्टर में नए मालिक का नाम लिखा जाता है और फिर नया शेयर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।
The Bottom Line
तो भाई लोग, अधिकृत पूंजी बढ़ाना और शेयर ट्रांसफर करना कोई आसान काम नहीं है। ये प्रोसेस थोड़ा लंबा है और इसमें कई डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत होती है। लेकिन अगर सही तरीके से किया जाए, तो ये कंपनी के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। इससे कंपनी को ज्यादा पूंजी मिलती है और वो अपने प्रोजेक्ट्स को बिना किसी वित्तीय बाधा के पूरा कर सकती है।
याद रखें, हर बड़ा बिजनेस एक छोटे कदम से शुरू होता है। कंपनी की वृद्धि के लिए अधिकृत पूंजी बढ़ाना और शेयर ट्रांसफर जैसे कदम उठाना बेहद जरूरी है। ये न केवल कंपनी की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाते हैं, बल्कि उसकी संगठनात्मक संरचना में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाते हैं। तो दोस्तों, अगर आप भी किसी कंपनी का हिस्सा हैं या अपनी कंपनी शुरू करना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
और हां, याद रहे - सही दिशा में उठाया गया हर कदम आपको आपके गोल के और करीब ले जाता है। Keep hustling, keep growing!
Bindu Soni
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